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अंधविश्वास से लड़ने वाले की हत्या

२० अगस्त २०१३

भारत में अंधविश्वास को मिटाने के लिए आंदोलन चला रहे प्रमुख तर्कवादी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की गोली मार कर हत्या कर दी गई है. दाभोलकर ने अपने आंदोलन से कथित धर्मगुरुओं और अंधविश्वासियों को दुश्मन बना लिया था.

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तस्वीर: picture-alliance/AP

मंगलवार को पुणे में जब दाभोलकर सुबह की सैर पर गए थे उसी दौरान मोटरसाइकिल सवार दो बंदूकधारियों ने उन पर गोलियां चलाई और भाग गए. पुणे के पुलिस कमिश्नर गुलाबराव पोल ने बताया, "उन्हें आज सुबह गोली मारी गई है, हमारी जांच चल रही है." इसके साथ ही उन्होंने अब तक किसी संदिग्ध की पहचान न होने की बात भी कही. महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने इस हत्या की निंदा की है और कहा है कि दोषियों को जल्दी ही न्याय के कठघरे में लाया जाएगा.

पेशे से डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर पर धर्म विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं. दो दशक पहले उन्होंने महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति बनाई. यह संगठन अंधविश्वास को खत्म करने के लिए काम करता है. इसका मकसद भारत के लोगों के मन को बदलना है, जहां एक बड़े तबके में अंधविश्वास गहरी जड़ें जमा कर बैठा है. दाभोलकर को प्रगतिशील और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के अभियान के लिए जाना जाता है. वह कई सालों से महाराष्ट्र सरकार पर अंधविश्वास और काला जादू पर रोक लगाने वाले कानून के लिए दबाव बना रहे हैं.

दाभोलकर का मानना था कि यह कानून धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ है. उनका कहना था, "पूरे बिल में भगवान या धर्म के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा गया है. भारत का संविधान उपासना की आजादी देता है और इसे कोई नहीं छीन सकता. कानून सिर्फ धोखाधड़ी और शोषण करने वाली परंपराओं के खिलाफ है."

बीते सालों में दाभोलकर ने कई "कथित धर्मगुरुओं" को भी चुनौती दी थी. इन में से कई ऐसे हैं जिनके भक्तों की तादाद काफी बड़ी है और जो "चमत्कार" के दावे कर भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाते रहते हैं. दाभोलकर ने कुछ धार्मिक मौकों पर पशुओँ की बलि देने को भी चुनौती दी. दाभोलकर "साधना" नाम की एक पत्रिका के संपादक भी थे जो प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देने के लिए है.

भारत की प्रमुख तर्कवादियों में एक सुमित्रा पद्मनाभन ने दाभोलकर की हत्या की निंदा की है. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में पद्मनाभन ने कहा, "सुधारवादियों पर पूरे देश में हमले हो रहे हैं क्योंकि भारत अब भी एक अंधविश्वासी देश है. दहेज, बाल विवाह, डायन बता कर मारने जैसे काम देश में अब भी हो रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा, "वैज्ञानिक एक दूसरे से नहीं लड़ते, सुधारवादी भी नहीं लड़ते, लेकिन धर्म के नाम पर विवाद हो जाता है क्योंकि उग्र विचारों वाले लोग भारत में बढ़ते जा रहे हैं, देश पीछे जा रहा है."

भारत का अध्यात्म पूरी दुनिया के लिए एक अमूल्य विरासत है लेकिन धार्मिक भावनाओं की ओट में बहुत सी कुप्रथाएं हैं जो मिटने का नाम नहीं ले रहीं. यहां तक कि इसके लिए आवाज उठाना भी अपराध करार दे दिया जाता है.

एनआर/एमजे (एएफपी)

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