1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अटलेटिको मैड्रिड ने जीता यूरोपा लीग

१३ मई २०१०

स्पेन की अटलेटिको मैड्रिड ने ब्रिटेन के एफ़सी फ़ुलहैम को अतिरिक्त समय में 2-1 से हराकर यूरोपा लीग कप जीता. हैम्बर्ग में हुए फाइनल में 49,000 दर्शक स्टेडियम में मौजूद थे.

https://p.dw.com/p/NMop
गोल करने के बाद फ़ोरलानतस्वीर: AP

हैम्बर्ग के फ़ुटबॉल हीरो उवे ज़ेलर जब खेल शुरू होने से पहले कप लेकर स्टेडियम जा रहे थे तो बहुत से स्थानीय दर्शकों के मन में सेमीफाइनल की दर्दनाक याद ताज़ा हो गई जिसमें हारकर हैम्बर्ग के क्लब ने अपनी ही धरती पर फाइनल खेलने का मौका गंवा दिया. फाइनल में दो ऐसी टीमें थीं, जिनके अंतिम चरण तक पहुंचने की उम्मीद किसी ने नहीं की थी. इसीलिए स्टेडियम पूरा भरा भी नहीं था, लेकिन फिर भी दोनों टीमों के समर्थकों ने फाइऩल को दर्शकों के लिए भी रोमांचक बना दिया.

Fußball FC Fulham Atletico Madrid Mai 2010
मैच देखने एक्टर ह्यू ग्रांट भी आएतस्वीर: AP

खेल भी आरंभिक मुश्किलों के बाद तेज़ हुआ और अंत तक जाते जाते बहुत ही रोमांचक हो गया. खेल के शुरुआती हिस्से में अटलेटिको छाया रहा और उरुग्वे के डिएगो फ़ोरलान ने 32वें मिनट में गोल कर अपनी टीम को बढ़त दिलाई. लेकिन 37वें मिनट में ही साइमन डेविस ने गोल बराबर कर दिया. उसके बाद दोनों टीमें कोई गोल नहीं कर पाईं और मैच का फ़ैसला अतिरिक्त समय में हुआ, जब डिएगो ने 116 वें मिनट में एक और गोल कर अपनी टीम को 48 साल बाद किसी यूरोपीय क्लब का खिताब जिताया. फ़ुलहैम को अपने क्लब के 131 साल के इतिहास में पहला खिताब हासिल करने के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा.

सीज़न के आरंभ में जब उएफ़ा कप की जगह पर यूरोपा लीग की शुरुआत हुई तो उसका ठंडा स्वागत हुआ, लेकिन सीज़न पूरा होने के बाद साफ है कि टूर्नामेंट उतना कमज़ोर नहीं साबित हुआ है जितनी कि खेल पंडितों ने भविष्यवाणी की थी.

1960 के दशक में फ़ेयर्स कप के रूप में शुरू हुए टूर्नामेंट ने अपने तीसरे अवतार के नॉकआउट दौर में टूर्नामेंट को आकर्षक बनाने के लिए प्रचुर रोमांच और ड्रामा पैदा किया. यूवेंटस और टाइटलधारी शखतार डोनेत्स्क को हराते हुए फ़ुलहैम की फाइनल तक की दौड़ भी इसमें शामिल रही.

ग्रुप स्टेज़ पर नए फॉर्मेट ने भी 1980 में चोटी पर पहुंचने के बाद लगातार लोकप्रियता खोते टूर्नामेंट को पुनर्जीवित करने में योगदान दिया है. पिछले कुछ सालों में उएफ़ा कप पांच के ग्रुप में खेला जा रहा था, जिसके कार्यक्रम की वजह से समर्थकों की रुचि गिरती जा रही थी. इस साल चैंपियंस ट्राफ़ी की तर्ज़ पर चार के ग्रुप की पद्धति लागू की गई, जिसके मैच हर गुरुवार को होते हैं.फ़ुलहैम के मैनेजर रॉय हॉज़सन कहते हैं, "मैं समझता हूं कि नया फ़ॉर्मेट अब पहले से अधिक दिलचस्प है क्योंकि वह चैंपियंस लीग के बहुत क़रीब है."

लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि टूर्नामेंट बहुत लंबा है. फ़ुलहैम को फाइनल तक पहुंचने के लिए 10 महीनों में 18 मैच खेलने पड़े.

रिपोर्टः एजेंसियां/महेश झा

संपादनः ए जमाल