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अदालतें नहीं देंगी ‘तारीख पर तारीख’

६ अप्रैल २०१५

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने कहा कि न्यायिक सुधार की दिशा में ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि निचली अदालतों में अधिकतम पांच साल और अपीलीय अदालत में अधिकतम दो साल में मामलों की सुनवाई पूरी हो जाएगी.

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Symbolbild Gerechtigkeit
तस्वीर: Fotolia/S. Duda

न्यायमूर्ति दत्तू ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और 24 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के बाद बताया कि न्यायपालिका इस दिशा में जोर-शोर से प्रयास कर रही है, लेकिन इसके लिए बुनियादी ढांचों को दुरुस्त करने, आबादी के हिसाब से न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने, सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल जैसे उपायों पर अमल जरूरी होगा. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में न्यायपालिका के समक्ष मौजूद समस्याओं पर गहनता से विचार विमर्श किया गया, जिनमें अदालतों का कम्प्यूटीकरण, नियुक्ति की नीतियां, त्वरित अदालतों, किशोर न्याय बोर्ड, महिला उत्पीड़न और वृद्धजनों से जुड़ी समस्याओं के अलावा भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैँ.

कार्यपालिका व न्यायपालिका का सहयोग

सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संवाद बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि वे एक-दूसरे को मजबूत बनाकर देश की बड़ी सेवा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि न्याय के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने से न्याय प्रक्रिया में गुणात्मक सुधार होगा और न्याय दिलाने में तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि व्यक्ति कितना भी अच्छा हो लेकिन संस्थान का ढांचा अच्छा नहीं होगा तो गिरावट आएगी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यपालिका को काफी आलोचना झेलनी पड़ती है लेकिन जजों को कभी भी इसका सामना नहीं करना पड़ता है. न्यायपालिका में कार्यपालिका और सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए लेकिन न्यायपालिका को अपने निर्णयों पर आत्म चिंतन करना चाहिए क्योंकि कार्यपालिका के निर्णय में सुधार की गुंजाइश होती है जबकि न्यायपालिका के निर्णय में ऐसा नहीं हो सकता है.

सम्मेलन में प्रांतों के मुख्यमंत्रियों ने न्यायपालिका में संरचनात्मक सुधार के लिए संसाधनों की मांग की है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य में निचली अदालतों की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से 550 करोड़ रुपये मांगे. तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यपालिका और न्यायपालिका की सतत भागीदारी से न्यायालयीन अधोसंरचना तथा न्यायालयों के आधुनिकीकरण के लिए मिलकर कार्य करने की सलाह दी. चौहान ने कहा कि राज्य सरकार सस्ता, सुलभ और शीघ्र न्याय देने की प्रक्रिया में न्यायपालिका को हर प्रकार का सहयोग देने के लिए कटिबद्ध है. इस कार्य में किसी भी प्रकार की वित्तीय बाधा नहीं आएगी.

एमजे/आईबी (वार्ता)