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अधिकारों के लिए सऊदी महिलाओं का संघर्ष

७ अगस्त २०१५

सऊदी अरब में महिलाओं को ऐसे अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है जो दुनिया भर में सामान्य समझा जाता है. सऊदी महिलाएं समय समय पर अपनी मांगों पर जोर देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती रहती हैं.

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सऊदी राजकुमारीअमीरा अल तवीलतस्वीर: picture-alliance/AP Images/E. Agostini

सऊदी अरब की आबादी में 45 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है. देश की अकूत संपत्ति में 12 अरब डॉलर का नियंत्रण उनके हाथों में है, लेकिन फिर भी उन्हें वोट देने या गाड़ी चलाने जैसे ऐसे अधिकार भी नहीं दिए जा रहे, जिसे दुनिया भर की महिलाएं सामान्य समझती हैं. उन्हें विदेश जाने या रोजगार शुरू करने के लिए अभिभावक की मंजूरी लेनी पड़ती है जो पिता या पति होता है. ऐसा नहीं है कि सऊदी समाज में बदलाव नहीं आ रहा है और महिलाएं कोई काम नहीं कर रही हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है. राज्य और समाज उन्हें बर्दाश्त तो कर रहा है लेकिन उनकी राह आसान नहीं बना रहा.

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सऊदी अरब का एक वीडियो वायरल हो गया है जिसने धार्मिक और सख्त समाज में महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है.

स्वाभाविक है मौलिक अधिकारों के लिए सऊदी अरब की महिलाओं के संघर्ष की राह अत्यंत कठिन है, क्योंकि इस राजशाही में सभा करने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकार भी नहीं है. फिर भी सऊदी महिलाएं समय समय पर अपनी मांगों पर जोर देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती रहती हैं.

अक्सर परिवार के सम्मान की रक्षा के नाम पर महिलाओं को बोलने से रोका जाता है. लेकिन परिवार के अत्याचारों से उन्हें राज्य और समाज के अलावा कौन बचा सकता है? कुछ महिलाएं इसके लिए आवाज उठा रही हैं.

लेकिन यह ट्विटर पेज ज्यादा दिन तक नहीं चला. इसे चलाने वाले लोग या तो हिम्मत नहीं दिखा पाए या उन्हें रोक दिया गया. इस बीच बहुत सी महिलाएं दमन की दवा कला में ढूंढ रही हैं.

समाज में गैरबराबरी के खिलाफ संघर्ष में महिलाओं की हिम्मत बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर इस तरह की तस्वीरें अपलोड की जा रही है.

जब संघर्ष में सफलता नहीं मिल रही हो, तो उम्मीदें ताकत बढ़ाने पर टिकी होती हैं. सऊदी महिलाएं भी इसका अपवाद नहीं हैं.

एमजे/आरआर