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अनशन पर डटी रहेंगी इरोम

२२ अगस्त २०१४

रिहाई के दो दिन बाद मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को पुलिस ने फिर गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें जबरन प्रदर्शन स्थल से हटा दिया गया. लेकिन 14 साल बाद भी शर्मिला अनशन जारी रखेंगी.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

स्थानीय समाचार चैनलों ने दिखाया है कि किस तरह 42 साल की शर्मिला को पुलिसवाले जबरदस्ती हटा रहे हैं. मणिपुर की लौह महिला कही जाने वाली शर्मिला ने साल 2000 से खाना नहीं खाया है और इस दौरान उन्हें जबरदस्ती नाक से खिलाया जाता है. भारत में आत्महत्या अपराध है और उन पर इस मामले में मुकदमा भी चला. लेकिन मणिपुर की सत्र अदालत ने केस खारिज कर दिया.

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता जानकी देवी ने बताया, "वह जहां धरना दे रही थीं, वहां महिला पुलिस की एक टीम आई और उन्हें ले गई." देवी ने बताया, "उन्हें एक बार फिर से आत्महत्या की कोशिश में गिरफ्तार किया गया है."

पुलिस का कहना है कि शर्मिला का स्वास्थ्य चिंताजनक है और उन्हें इम्फाल की जेल अस्पताल ले जाया जा रहा है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम उन्हें मरने नहीं दे सकते." शर्मिला भारत सरकार के विशेष शस्त्र कानून (एएफएसपीए) के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं.

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लंबे वक्त से प्रदर्शन कर रहीं इरोमतस्वीर: picture-alliance/dpa

यह विशेष कानून कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में लागू है. इसके तहत भारतीय सैनिकों को बिना किसी कागजात के तलाशी का अधिकार है, वे किसी के भी घर में घुस सकते हैं और मौके पर ही गोली मार सकते हैं. आलोचकों का कहना है कि यह मानवाधिकार का उल्लंघन है.

इससे पहले उन्हें जेएन अस्पताल में बनाई गई एक कामचलाऊ जेल से रिहा किया गया. वहां से निकलने के बाद शर्मिला ने कहा कि वह अपना अनशन जारी रखेंगी और अस्पताल के पास ही धरने पर बैठ गईं. उन्होंने कहा, "मैं अनशन तब तक जारी रखूंगी, जब तक मेरी मांगें मान नहीं ली जातीं. सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि मैं आत्महत्या की कोशिश नहीं कर रही हूं और मैं इसका स्वागत करती हूं."

शर्मिला ने दो नवंबर, 2000 को अनशन शुरू किया था. उसके बाद उन्हें आत्महत्या की कोशिश के तहत गिरफ्तार किया गया. पूर्व पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शर्मिला ने उस वक्त अनशन शुरू किया, जब कथित तौर पर असम राइफल्स ने मालोम इलाके में 10 लोगों की उपद्रव फैलाने के आरोप में हत्या कर दी.

वह पिछले कई सालों से जेल में हैं. बीच बीच में उन्हें रिहा किया जाता है और फिर आत्महत्या की कोशिश में गिरफ्तार कर लिया जाता है. मणिपुर के गृह मंत्री गाइखानगाम ने कहा कि सरकार उनकी सुरक्षा और सेहत का ख्याल रखने के लिए तत्पर है.

शर्मिला ने बुधवार को रिहाई के बाद कहा कि वह अपनी मांगों के पूरा होने तक न तो अपने घर जाएंगी और ना ही अपनी मां से मिलेंगी.

एजेए/एएम (पीटीआई, एएफपी)