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अपनी दुनिया में गुम हुआ कसाब

१४ नवम्बर २०१०

मुंबई हमलों में जिंदा पकड़े गए आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की मुकदमे की सुनवाई में दिलचस्पी खत्म हो गई है और अब वह अपनी दुनिया में गुम हो गया है. उसे अब इसकी भी परवाह नहीं कि बॉम्बे हाईकोर्ट में उसकी अपील का क्या हुआ.

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अजमल आमिर कसाबतस्वीर: AP

कसाब के वकील अमीन सोलकर ने रविवार को यह जानकारी दी. एक दिन पहले सोनकर ने आर्थर रोड जेल के भारी सुरक्षा वाले सेल में कसाब से मुलाकात की थी. सोलकर का कहना है, "कसाब को 27/11 के मुकदमों की सुनवाई में कोई दिलचस्पी नहीं. हमने उससे धर्म और कुछ सामान्य चीजों के बारे में बात करने की कोशिश की लेकिन वह किसी और ही दुनिया में था, वह लगातार बातों के विषय बदलता रहा. मुझे लगता है कि वह अपनी दुनिया में कहीं गुम हो गया है."

Ujjwal Nikka, Staatsanwalt von Maharashrra
सरकारी वकील उज्ज्वल निकमतस्वीर: Fotoagentur UNI

सोलकर ने बताया कि कसाब शारीरिक रूप से स्वस्थ है और उसने किताब पढ़ने में दिलचस्पी दिखाई है. सोलकर ने उर्दू कहानियों की कुछ किताबें उसे देने का वादा किया है. कसाब उर्दू भाषा बहुत अच्छी तरह से जानता है. जेल प्रशासन ने कसाब को पवित्र कुरान दी है जिसका कुछ हिस्सा वह हर रोज पढ़ता है.

सोलकर के मुताबिक, "उससे मिलने के बाद मुझे जो समझ में आया है उससे यही लगता है कि उसके बारे में ठीक ठीक कुछ नहीं कहा जा सकता कि वह क्या करेगा. वह एक चीज के बारे में बात कर रहा होता है और अचानक किसी और विषय पर बात करने लगता है."

यह पूछने पर कि सोलकर उससे मिलने क्यों गये थे कसाब के वकील ने कहा, "मैं उसकी मानसिक स्थिति को समझना चाहता हूं क्योंकि हाल के दिनों में वह कोर्ट और जेल में अजीब तरह की हरकतें करने लगा है."

इस बीच बॉम्बे हाईकोर्ट में कसाब की मौत की सजा और उसकी अपील पर जस्टिस रंजना देसाई और जस्टिस आरवी मोरे की बेंच दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई करेगी. इस बीच वकीलों ने बहस के लिए अपनी दलीलें तैयार करनी शुरू कर दी हैं. सरकारी वकील उज्ज्वल निकम सोमवार को कसाब के कबूलनामे और इस बात को कोर्ट को सामने रखने वाले हैं कि किस तरह कसाब और उसके नौ साथियों ने कराची से मुंबई आकर हमला किया.

उज्ज्वल निकम ने कहा, "मैं लश्कर ए तैयबा की साजिश के बारे में कोर्ट को बताउंगा और यह भी कि कैसे उन्हें ट्रेनिंग और हथियार देकर कराची से मुंबई हमला करने के लिए भेजा गया. जहां इन लोगों ने नरीमन हाउस, ताज और ओबरॉय होटल जैसी जगहों पर जाकर 166 लोगों को मार डाला."

सरकारी वकील कोर्ट को यह भी विस्तार से बताएंगे कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की इस हमले में क्या भूमिका रही.

उधर बचाव पक्ष के वकील भी अपनी दलीलों को तैयार कर रहे हैं. उनका ध्यान इस बात पर है कि गवाहों के जरिए कसाब के पहचान को सबूत नहीं माना जा सकता क्योंकि उसकी तस्वीरें अखबारों, पत्रिकाओं और टेलिविजन चैनलों पर खूब दिखाई गईं. सोलकर का कहना है, " इस बात के कोई सबूत नहीं कि कसाब ने दूसरे लोगों के साथ मिल कर मुंबई में हमले की साजिश रची और साथ ही यह भी कि उसने हमलों में हिस्सा लिया."
सरकारी वकील अभी एक हफ्ते का समय अपनी दलीलें रखने के लिए लेंगे. इसके बाद कसाब के वकील अमीन सोलकर और फरहाना शाह अपनी बात कोर्ट के सामने रखेंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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