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अपनी बिजली खुद बनाते लोग

२२ मार्च २०१४

स्कॉटलैंड का एक टापू दुनिया का पहला ऐसा द्वीप बन गया है जो विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा के साथ अपनी सभी जरूरतों को पूरा करता है. लोगों का कहना है कि बदलाव के कारण जीवन बेहतर हुआ है. बिजली के बिल भी कम हुए हैं.

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तस्वीर: W. L. Tarbert

स्कॉटलैंड के उत्तर पश्चिम तट पर बसे द्वीप 'एग' पर सूरज चमक रहा है और सूरज की ये तेज किरणें एडी स्कॉट के लिए खुशखबरी लेकर आई हैं. एडी स्कॉट द्वीप की अत्याधुनिक अक्षय ऊर्जा योजना के बिजली विशेषज्ञ हैं. स्कॉट बताते हैं, "यह सिस्टम करीब पांच साल से चल रहा है. सिस्टम को चलाने के लिए 85 फीसदी अक्षय ऊर्जा और 15 फीसदी जनरेटर का इस्तेमाल होता है." यहां के लोगों ने इस योजना का नाम 'एगट्रिसिटी' 'एग' की 'इलेक्ट्रिसिटी' रखा है. द्वीप में रहने वाले सैकड़ों लोगों को पहले डीजल जनरेटर से बिजली मिलती थी. जनरेटर से शोर होता, प्रदूषण के अलावा उसे चलाना भी महंगा साबित होता. डीडब्ल्यू से बातचीत में स्कॉट ने बताया, "एक दिन में पांच घंटे की बिजली के लिए एक बैरल डीजल खरीदना पड़ता था. अब मुझे चौबीस घंटे बिजली मिलती है और खर्च महीने में सिर्फ तीस पाउंड ही होता है."

आदर्श स्थिति

अटलांटिक महासागर के किनारे पर स्थित इस द्वीप के लिए स्थिति बेहद अच्छी है. द्वीप पर हवा की कोई कमी नहीं है. सोलर सेल और पवन चक्की के पास स्थित सबस्टेशन के जरिए पूरे द्वीप के घरों तक अंडरग्राउंड तार के जरिए बिजली पहुंचाई जाती है. द्वीप में रहने वाले लोगों को पर्याप्त बिजली मिल सके इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी पांच किलोवॉट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल न करें. व्यवसायों के लिए दस किलोवॉट बिजली की सीमा है.

स्कॉट का कहना है कि कई बार द्वीप में जरूरत से ज्यादा बिजली पैदा हो जाती है. इस द्वीप के लिए विशेष बिजली योजना ही असाधारण नहीं है. 1997 से द्वीप का मालिकाना हक यहां के निवासियों के पास है. इस तरह की स्थिति स्कॉटलैंड के लिए अनोखी है. 1970 में काम करने यहां आई मैगी फिएफे कहती हैं कि द्वीप का मालिक होने से लोग सशक्त हुए हैं, "पिछले पंद्रह सालों में एग में काफी सुधार आया है. यहां बहुत से रोजगार पैदा हुए हैं. बहुत से ऐसे नौजवान हैं जो वापस आकर यहां बस गए हैं."

जीवन बदला

साल में छह महीने से ज्यादा यहां रहने वाले लोग अपने आप रेजिडेंट कमेटी के सदस्य बन जाते हैं. हर महीने होने वाली रेजिडेंट कमेटी की बैठकों में ही पहली बार अक्षय ऊर्जा योजना के बारे में विचार सामने आया. फिएफे बताती हैं, "हर बैठक में बिजली का मुद्दा उठता. लोग पवन चक्की लगाने के बारे में मांग करते. स्थानीय निवेश की अपील के बाद नई बिजली योजना को वास्तविकता बनने में समय नहीं लगा."

द्वीप की मुख्यभूमि से दूर समंदर की लहरें रेतों से टकरा रही हैं. स्थानीय डाकिया जॉन कोरमैक लकड़ी के बने घर के बरामदे पर खड़े होकर सूरज के ढलने का नजारा देख रहे हैं. कुछ अर्से पहले तक उन्हें अगली सुबह तक बिना बिजली के रहना पड़ता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. कोरमैक कहते हैं, "मेरे पास पेट्रोल से चलने वाला जनरेटर था. जिसका मैं कभी कभी इस्तेमाल करता था. लेकिन ज्यादातर मैं बिना बिजली के ही गुजारा कर लेता था. इस योजना से मेरी जिंदगी में क्रांति आ गई."

रिपोर्ट: पेटर गेओगहेगन/एए

संपादन: ईशा भाटिया

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