अपने बनाए कैदखाने में खुद ही बंद
२६ नवम्बर २०१०बात जर्मनी के पूरब में थुरिंजिया प्रदेश के गुंपैरदा कस्बे की है. आम तौर पर जर्मन लोग अपने घर में मरम्मत वगैरह के काम में काफी चुस्त होते हैं, पूरब में पश्चिम से कुछ अधिक ही. तो 64 साल के सज्जन को लगा कि उनके तहखाने में एक और दीवार होनी चाहिए. बस कुछ सैंडविच और मिनरल वाटर की बोतल लेकर वे तहखाने में पहुंचे.
ईंटें और सीमेंट तो वहीं मौजूद थे और जनाब ने दीवार बनाना शुरू किया. कई घंटों तक मेहनत करने के बाद दीवार बन गई. तो उन्होंने सोचा कि बाहर खुली हवा में एक सिगरेट पी ली जाए. तब उन्हें सुध आई, कि कितना जबरदस्त काम उन्होंने कर डाला है. तहखाने का दरवाजा अब इस दीवार से बंद हो चुका है.
ऐसी हालत में चीख पुकार मचाकर पड़ोसियों को बुलाया जा सकता था. लेकिन पड़ोसियों से झगड़े के बाद बातचीत बंद हो चुकी थी. नई नई बनी दीवार को तोड़ना बहुत मुश्किल न होता, लेकिन अपनी मेहनत के काम को खराब क्यों किया जाए.
तो हमारे बुजुर्ग कारीगर ने दूसरी ओर की दीवार में बोरिंग के जरिये गड्ढा बनाने की कोशिश की. लेकिन वह भूल गए थे कि वह पड़ोसी के घर के साथ लगी दीवार थी. घबराए पड़ोसियों ने फोन लगाकर पुलिस को बुलाया. पुलिसवाले पहुंचे, तहखाने में फंसे सज्जन से छेद के जरिये बात हुई.
पहले तो पुलिस को लगा कि यह कोई मजाक है. लेकिन यह मजाक नहीं था. नई बनी दीवार को तोड़कर पुलिस ने उन्हें छुड़ाया. अब शांतिभंग और पराई संपत्ति के नुकसान के लिए उन पर मामला दर्ज किया गया है. पुलिस का कहना है कि उन्हें सीख मिलनी चाहिए. लेकिन अगर जिंदगीभर सीख नहीं मिली, तो अब क्या खाक मिलेगी?
रिपोर्ट : एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन : एस गौड़