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राशन की होम डिलीवरी

Abha Mondhe२९ मार्च २०१४

शॉपिंग का तरीका बदल चुका है. अब लोग दुकानों में जा कर वक्त बर्बाद करने की जगह इंटरनेट पर ही ऑर्डर देना पसंद करते हैं. कपड़े और फर्नीचर तक तो ठीक है, पर क्या अब घर का राशन भी इंटरनेट से ही आया करेगा?

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तस्वीर: picture alliance/chromorange

कुछ लोग हफ्ते भर की सब्जी एक साथ खरीदना पसंद करते हैं, पर अधिकतर को रोज ताजा सामान लेने में ही तसल्ली महसूस होती है. सब्जी ताजा है या नहीं, कहीं कीड़ा तो नहीं लगा, फल की खुशबू अच्छी है जा नहीं, ये सब बातें सुनिश्चित करने के बाद ही लोग सामान खरीदते हैं. जब तक फल को खुद अपने हाथ में ले कर तसल्ली ना कर लें, तब तक भले ही दुकानदार जितना भी समझा ले, लोग खरीदने के लिए राजी नहीं होते. लेकिन हो सकता है कि कुछ वक्त में यह बदल जाए.

अमेजन जैसी इंटरनेट वेबसाइटों पर अब खाने पीने का सामान खरीदने का भी मौका मिलने लगा है. हालांकि अभी ऑनलाइन फूड का बाजार पक्का नहीं हुआ है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में इसमें तेजी से उछाल दर्ज किया जाएगा. अमेरिका में इस तरह की कई वेबसाइटों का परीक्षण चल रहा हैं. जर्मनी में भी अब इस तरह का बाजार शुरू हो रहा है. यहां के जानेमाने स्टोर 'रेवे' ने अपनी ऑनलाइन टीम भी तैयार कर ली है. रेवे के सीईओ का कहना है कि उन्होंने जर्मनी में ही अपनी छोटी सी 'सिलिकॉन वैली' बना ली है.

राशन की होम डिलीवरी

इंटरनेट के जानकारों की मानें तो 2020 तक ऑनलाइन फूड इंडस्ट्री पूरी तरह फल फूल चुकी होगी. अकेले जर्मनी में इसके सालाना दो से तीन अरब यूरो के मुनाफे की उम्मीद की जा रही है. इंग्लैंड में तो ऑनलाइन कंपनी टेस्को ने 2013 में ही 15 करोड़ यूरो का मुनाफा दर्ज किया है. फ्रांस में भी कई स्टोर इस कंसेप्ट पर काम कर रहे हैं. वहां लोग इंटनेट में राशन का सामान ऑर्डर कर सकते हैं. दिक्कत बस इतनी है कि अभी वहां इस सामान की डिलीवरी का विकल्प नहीं है. यानि स्टोर से सामान उठाने खुद ही जाना होगा. फायदा इतना है कि आपको लंबी कतार में लगने की जरूरत नहीं और आपके पहुंचते ही आपकी पसंद का सारा सामान पहले से ही पैक हो कर आपका इंतजार कर रहा होगा.

साथ ही कुछ ऐसी कंपनियां भी बाजार में आने की कोशिश में हैं जिनके कोई स्टोर हैं ही नहीं. 'ऑलयूनीड.कॉम' और 'फूड.डीई' इसी तरह की वेबसाइटें हैं. ये ग्राहकों तक सामान डिलीवर करने का वादा भी करती हैं. इन कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है खाने पीने के सामान को सही ढंग से ग्राहकों तक पहुंचाना. मसलन दूध, अंडे, मांस और अन्य कोल्ड स्टोरेज का सामान उसी हालत में ग्राहकों तक पहुंचना चाहिए जैसा कि आम तौर पर स्टोर में मिलता है. हो सकता है कि इस तरह की डिलीवरी के लिए कंपनी को ज्यादा खर्च उठाना पड़े. पर एक बात तो तय है, ग्राहक तभी इंटरनेट में ऑर्डर करना पसंद करेंगे अगर उन्हें स्टोर जितनी या उससे भी कम कीमत में सामान मिलता है.

रिपोर्ट: जेनिफर फ्राचेक/ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे