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अब कोहरे से निकाला जायेगा पानी

२५ अगस्त २०१०

कोहरे को पानी में बदलने, जर्मन बच्चों का अपने नाना-नानी को कम्प्यूटर गेम्स सिखाना, हॉलीवुड में भारत की घूम पर चर्चा के अलावा पाकिस्तान में आयी बाढ़ की समस्या पर किए गए हमारे कार्यक्रमों पर श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं...

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तस्वीर: AP

डीडब्ल्यू हिंदी की वेबसाइट पर खोज स्तम्भ में 'अब कोहरे से निकाला जायेगा पानी' रिपोर्ट पढ़ी. दिलचस्प लगी. नेपाल के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में इस तकनीक का प्रयोग आज से कोई एक दशक पूर्व से ही किया जा रहा है. यह सही है कि आने वाले समय में दुनिया को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ेगा. एक आसान विकल्प मेरे दिमाग में भी है. क्या हम एयर कंडीशनर से निकलने वाले पानी को इकट्ठा करके पेयजल के रूप में प्रयोग नहीं कर सकते. मैं समझाता हूं यह भी ठन्डे, मीठे और स्वच्छ पानी का अच्छा विकल्प हो सकता है.

माधव शर्मा, नोखा जोधा, जिला नागौर (राजस्थान)

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शतरंज के नंबर वन खिलाड़ी और देश का गौरव बढ़ाने वाले विश्वनाथन आनंद को सम्मानित करने के लिए सरकार राजी हो गई है. ये अलग बात है कि मीडिया में खबरें आने के बाद सरकार की किरकिरी हुई और मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने आनन फानन में ये फैसला ले लिया की आनंद भारतीय हैं. इस बात में किसी भी आम हिंदुस्तानी को शक नहीं होगा कि आनंद हिंदुस्तानी हैं या नहीं .. शतरंज के खेल में उन्होनें भारत को बुलंदियों तक पहुंचाया. भारत जैसे देश में जहां क्रिकेटरों को भगवान की तरह पूजा जाता है वहां शतरंज को एक मुकाम दिलाया आनंद नें ... आनंद ने कई प्रतियोगिताएं जीती हरेक में वो एक भारतीय बनकर ही खेले. भारत सरकार को इस बात की टीस है कि आनंद स्पेन में क्यों रह रहे हैं. स्लमडॉग मिलैनियर ए आर रहमान का भी ज्यादा समय विदेशों में बीतता है .. लेकिन कभी किसी ने नहीं कहा कि वे विदेशी हैं. मशहूर उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल भारत के नहीं है लेकिन उनका नाम हमेशा भारत के साथ जुड़ा है. ऐसी लोगों की मिसालों की कमी नहीं है जिन्होने भारत के बाहर रहते हुए भी भारत का नाम रोशन किया है उनके दिल में आज भी हिंदुस्तान धड़कता है. आनंद के पास भारत और स्पेन दोनों देशों के पासपोर्ट हैं, आनंद भी इस बात से दुखी हैं कि उन्हें सम्मानित करने के मामले को इतना तूल क्यो दिया जा रहा है. आखिरकार सरकार ने सही फैसला लिया है उम्मीद है कि आने वाले समय में देश का झंडा बुलंद करने वाला कोई भी कलाकार, खिलाड़ी , या आम आदमी को इस तरह की परिस्थिति से नहीं गुजरना पड़ेगा.

Deutschland Schach Weltmeisterschaft in Bonn Wladimir Kramnik gegen Viswanathan Anand
तस्वीर: AP

सचिन कुमार पोद्दार, ईमेल से

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हॉलीवुड में भारत की धूम या यों कहें कि भारतीयों की धूम, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती, क्या बॉलीवुड क्या हॉलीवुड, प्रतिभावान व्यक्ति हर जगह पहुंचते हैं. आज भारत की ढंका हर जगह बज रही है पर यह भारतीयों के प्रतिभा का ढंका है. जैसे जैसे अवसर मिलेगा इसमें और निखार आयेगा. सचिन गौड़ की यह रिपोर्ट सुंदर शैली में अनेकों तथ्यों के साथ लिखी गयी, बड़ी पसंद आयी.

एस.बी.शर्मा, जमशेदपुर (झारखण्ड)

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लाइफ लाइन कार्यक्रम मे कोहरे को पानी मे बदल कर पीने लायक बनाने वाले एक नई तकनीक के बारे मे जानने को मिला, सुनकर अच्छा लगा. अगर यह तकनीक सफल हुई तो पानी की कमी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. मेरे ख्याल से इस तकनीक में बहुत सारी असुविधाए भी होंगी.

जीउराज बसुमतारी, सोनितपुर (असम)

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हैलो जिंदगी के ताज़ा अंक में जर्मनी के एक कम्प्यूटर गेम स्कूल की चर्चा सजीव और रोचक लगी . यह बड़ी अच्छी बात है कि अब बच्चे भी अपने माता-पिता और दादा-दादी को कम्प्यूटर गेम सिखा रहे हैं . हैलो जिंदगी के इसी अंक में ' पीपली लाईव' फिल्म के नत्था किसान यानी ओंकारदास माणिकपुरी से मिलकर दिल खुश हो गया. दर असल ओंकारदास छत्तीसगढ़ के मंजे हुए रंगमंच कलाकार हैं . पंडवानी गायिका और पद्मश्री तीजनबाई की तरह ओंकारदास भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं . ओंकारदास आगे भी इसी तरह रंगमंच और फिल्म के क्षेत्र में नित नई-नई सफलता प्राप्त करते रहें और देश व छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करते रहें - यही हम सबकी शुभकामना है. ओंकारदास के साथ सबसे पहले और दिलचस्प इंटरव्यू सुनवाने के लिए डॉयचे वेले को बहुत धन्यवाद. लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया कि सहज-सरल ओंकारदास जी ने अपना उपनाम ' मानिकपुरी' की जगह'माणिकपुरी' क्यों रख लिया ? क्या यह बॉलीवुड का प्रभाव है ?

Pakistan Flut Hochwasser Überschwemmung Seuchengefahr
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पाकिस्तान में आयी बाढ़ की समस्या पर ख़ास कार्यक्रम प्रसारित किया गया,जो काफी सूचनाप्रद और सटीक लगा. एक जर्मन पत्रिका द्वारा अपने पाठकों से जो अपील की गई है, वह तारीफ के काबिल और उचित प्रयास है. बाढ़ से पाकिस्तानी जनता हाल बेहाल है. विपदा की घड़ी में विश्व समुदाय को पाकिस्तान की मदद दिल खोल कर करनी चाहिए. भले ही वहां की सरकार,विभिन्न देशों की मदद को किसी भी नज़रिया से देखे. पाकिस्तान की सरकार को अब 'रस्सी भले जल जाए, पर ऐंठ नहीं जाये' वाली अपनी आदत को छोड़ देनी चाहिए. सामयिक और निष्पक्ष प्रस्तुति के लिए डॉयचे वेले को हार्दिक धन्यवाद.

चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी एक्स क्लब सोनपुरी,जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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हैलो जिंदगी में जर्मन स्कूल में बच्चों के मां-बाप, नाना-नानी को कंप्यूटर गेम्स सिखाये जाने के बारे में सुनने को मिला, जो काफी पसंद आया. साथ में पिपली लव के ओंकार से बातचीत भी पसंद आयी. 7वीं पास होकर भी मेहनत से उन्होंने जो प्रयास किये बहुत अच्छे हैं. बातचीत से प्रभावित होकर मैंने तय किया है कि मैं यह सिनेमा जरुर देखूंगा. खोज में पानी से पारा निकालने के तरीके पर विस्तृत जानकारी और साथ में मंगल ग्रह तक पहुंचाने में अन्तरिक्ष यात्रा की चुनौती पर रिपोर्ट काफी हैरान कर देने वाली थी. लगता है कि मंगल ग्रह को दूर से देखने में ही भलाई है. लाइफ लाइन कार्यक्रम में कोहरे से भी पानी निकालने के नए तरीके के बारे में विस्तार से जानने को मिला. भारत के बढ़ती आबादी के लिए यह तकनीक काम आएगी लेकिन भारत के लोगों को सिर्फ इसके बारे में सपना ही देखना होगा क्योंकि ऐसी योजना भारत में सबसे आखिर में ही आती है.

संदीप जावले, मार्कोनी डी एक्स क्लब, परली वैजनाथ (महाराष्ट्र)

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डॉयचे वेले हिन्दी सेवा की वेबसाइट पर आर्टिकल सरकार ने सांसदों का वेतन 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है लेकिन विपक्षी सांसदों की मांग है कि इसे 80 हजार किया जाए पढ़ने को मिला. संसद में सदस्यों के व्यवहार और उनकी गैर मौजूदगी देखकर मन में सवाल उठता है कि जन प्रतिनिध होकर वे सदन का समय और जनता का धन कैसे बर्बाद कर सकते हैं. वेतन वृद्धि गलत नहीं है लेकिन शर्त ये है कि ये संसद में कुछ काम तो करें. संसद का दो तिहाई वक़्त तो ये हंगामे में जाया करते हैं तो बढ़ोत्तरी किस बात की ? इनकी उपस्थिति पर भी कोई नियम नहीं है. बहुत से सांसद तो वहां मौन व्रत रखते हैं और ये तब ही टूटता है जब हो हल्ला करना होता है. सच है कि सांसद जनप्रतिनिधि होते हैं, लेकिन जनसेवा के नाम पर उनसे निस्वार्थ सेवा की उम्मीद करना बेमानी है. एक अच्छा वेतन जहां उन्हें अपना पूरा समय अपने कार्य में लगाये रहने को प्रेरित करेगा, वहीं यह योग्य लोगों को अपना पेशा छोड़कर राजनीति में आने के लिए उत्प्रेरित भी कर सकता है. हां, अगर हाय-तौबा मचानी ही है तो यह नाकाबिल सांसदों के ख़िलाफ़ होनी चाहिए, जो जनसेवा के बदले निजी सेवा को ही अपना आदर्श मान बैठे हैं.

रवि शंकर तिवारी, स्टुडेंट टी.वी. जॉर्नालिस्म, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (नई दिल्ली)

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संकलनः विनोद चढ्डा

संपादनः आभा एम