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अब ब्रिटेन को मोहने चले मोदी

११ नवम्बर २०१५

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पहली ब्रिटेन यात्रा पर अरबों की व्यावसायिक डील के अलावा प्रवासियों की एक बढ़ी सभा को भी संबोधित करेंगे. बिहार चुनाव के निराशाजनक नतीजे से प्रभावित हुई छवि को उबारने की भी कोशिश होगी.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Uz Zaman

ब्रिटेन में रह रहे करीब 15 लाख भारतीय मूल के लोगों के अलावा ऐतिहासिक संबंध, क्रिकेट के प्रति लगाव और अंग्रेजी भाषा दोनों देशों को एक दूसरे से जोड़ती है. प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले 18 महीनों में मोदी की ये 26वीं विदेश यात्रा है. वे पिछले लगभग एक दशक में ब्रिटेन के दौरे पर जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. 12 से 14 नवंबर तक होने वाले दौरे पर मोदी लंदन के सबसे बड़े स्टेडियम में लोगों को संबोधित करेंगे. यहां 60 हजार से अधिक दर्शकों के आने का अनुमान है जो कि मोदी के अमेरिका दौरे में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर गार्डेन में जुटी भीड़ के तीन गुना होगी.

ब्रिटेन रवाना होने से पहले भारत में मोदी सरकार ने 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश के नियमों में ढील देने की घोषणा की है. हाल ही में आए बिहार विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी की हार के बाद उन्हें केवल राजनीतिक विरोधियों से ही नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों के कठिन सवालों का सामना करना पड़ रहा है.

भारत और ब्रिटेन के बीच 12 से 18 अरब डॉलर की डील पर भी हस्ताक्षर होने हैं. ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन दक्षिण एशिया में भारत और चीन जैसे देशों के साथ और मजबूत आर्थिक संबंध स्थापित करना चाहते हैं. इसी सिलसिले में पिछले दिनों चीनी राष्ट्रपति भी ब्रिटेन पहुंचे थे, जिस दौरान चीन और ब्रिटेन के बीच 62 अरब डॉलर का समझौता हुआ.

गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में संदिग्ध संलिप्तता के कारण ब्रिटेन ने 10 सालों तक उनकी ब्रिटेन यात्रा पर प्रतिबंध लगा रखा था. तीन साल पहले भारत की सर्वोच्च अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद ब्रिटेन ने ये प्रतिबंध हटाया और यात्रा के पहले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया है. हालांकि भारत में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के सवाल पर 3 दिन की यात्रा में उन्हें ब्रिटेन में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शनों का सामना भी करना पड़ सकता है.

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ब्रिटिश प्रेस में मोदी के बारे में हाल में काफी आलोचनात्मक लेख छपे हैं. लेफ्ट-झुकाव वाले दैनिक गार्डियन ने हाल ही में मोदी को एक "दुनिया को मंत्रमुग्ध करने वाला एक जोड़तोड़ और विभाजनकारी" नेता शीर्षक वाला लेख छापा था. हालांकि ब्रिटेन में भारतीय मूल के कई लोग प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर "यूके वेलकम्स मोदी" नाम की वेबसाइट चला रहे हैं और वेंबले स्टेडियम में उनका अभूतपूर्व स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं.

सन् 2000 तक ब्रिटेन अपने पूर्व उपनिवेश भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यावसायिक साझोदार था. अब वह नीचे 18वें नंबर पर है और बेल्जियम, कुवैत जैसे देश भी ब्रिटेन से आगे हैं.

आरआर/एमजे (रॉयटर्स)