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अब मुद्दा खाने की आजादी का

८ सितम्बर २०१५

दुनिया की तेजी से बढ़ती आबादी के साथ मांस की मांग भी बढ़ी है. वहीं भारत की वाणिज्यिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई में पर्यावरण नहीं बल्कि धार्मिक कारणों से मीट पर कुछ दिनों का बैन लगा है. सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रियाएं.

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तस्वीर: picture-alliance/Robert Harding World Imagery

कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के बीजेपी-शासित मिरा भयंदर नगर पालिका (एमबीएमसी) ने आठ दिनों का बैन लगाया था और अब बृहनमुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पूरे जैन पर्व सीजन के दौरान चार दिनों तक मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है. ट्विटर पर कुछ लोग मुंबई शहर को ही बैन की नगरी या 'बैनिस्तान' बता रहे हैं.

लोकप्रिय अंग्रेजी भाषा के लेखक चेतन भगत ने लिखा है कि बहुत मुश्किलों के बाद हासिल हुई आजादी को इतनी आसानी से गंवाना नहीं चाहिए. उनके इस आह्वान को ट्विटर पर ही कई लोगों का समर्थन भी हासिल हुआ.

कुछ लोग बीते कुछ महीनों में सरकार की ओर से लगाए गए बीफ बैन और पॉर्न बैन को भी इसी संदर्भ में देख रहे हैं. हालांकि घोषणा करने के बाद सरकार को पॉर्न बैन के अपने आदेश में कुछ परिवर्तन करने पड़े थे. #MeatBan के साथ लोग सवाल उठा रहे हैं कि शासन का गंभीर बुनियादी समस्याओं से ज्यादा खाने और देखने की आजादी पर इतना ध्यान क्यों है.

मशहूर अभिनेत्री सोनम कपूर ने भारत में व्याप्त असहनशीलता पर सवाल क्या उठाया, ट्विटर पर कई लोग उनके पीछे पड़ गए.

1994 के एक आदेश के अनुसार बीएमसी इस जैन पर्व पर्युशान के दौरान दो दिन तक पशु वध और मीट की बिक्री पर बैन लगाती आई है. लेकिन इस साल चार दिन का प्रतिबंध लगाने का आदेश है. मुंबई में कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं, जिनमें जैन आबादी 8.5 लाख से भी अधिक है. शिवसेना जैसी विपक्षी पार्टियां मुंबई में इस बैन के खिलाफ हैं.

आरआर/एसएफ