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अमीरात में आतंकवाद विरोधी सहयोग पर जोर

१७ अगस्त २०१५

संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्राउन प्रिंस जायेद अल नाह्यान से सुरक्षा और व्यापारिक साझेदारी पर विस्तार से बातचीत की है. दोनों देश अपने सामरिक सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं.

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तस्वीर: UNI

संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर गए भारतीय प्रधानमंत्री ने क्राउन प्रिंस के साथ द्विपक्षीय महत्व के मुद्दों के अलावा इलाके की स्थिति, खासकर कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट और अन्य कट्टरपंथी संगठनों से बढ़ते आतंकवादी और चरमपंथी खतरे पर भी चर्चा की. अधिकारियों के अनुसार दोनों नेताओं ने आतंकवाद की साझा चुनौती का मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने पर गहन चर्चा की.

एमिरेट्स पैलेस में हुई चर्चा में दोनों नेताओं ने व्यापारिक रिश्तों की भी चर्चा की और उसमें सहयोग की अपार संभावनाओं पर जोर दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे चाहते हैं कि अमीरात आतंकवाद का सामना करने और व्यापार में भारत का प्रमुख सहयोगी बने. दोनों पक्षों ने व्यापक सामरिक पार्टनरशिप के तहत कारोबारी रिश्ते बढ़ाने की संभावनाओं पर भी चर्चा की.

Vereinigte Arabische Emirate Besuch indischer Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: UNI

व्यापार के मोर्चे पर भारत चाहता है कि वह अमीरात के लिए दूरगामी निवेश का लक्ष्य बने. आबू धावी इंवेस्टमेंट अथॉरिटी के पास 800 अरब डॉलर का कोष है जबकि दुबई इंवेस्टमेंट अथॉरिटी के पास 500 अरब डॉलर का कोष है. भारत रियल स्टेट, बंदरगाह विकास और रेलवे संरचना के विकास में निवेश चाहता है. मसदर स्मार्ट सिटी के दौरे पर मोदी ने कहा कि भारत में 10 खरब डॉलर के निवेश की संभावना है और उनकी सरकार पिछले 34 साल की कमियों को दूर करने के लिए फौरी कदम उठाएगी.

सुरक्षा के मोर्चे पर इस्लामिक स्टेट के विस्तार के साथ भारत के लिए संयुक्त अरब अमीरात का महत्व बढ़ गया है. बहुत से आतंकवादी भारत में घटनाओं को अंजाम देकर मध्यपूर्व के देशों में छुप जाते हैं. भारत इस कमजोरी को दूर करना चाहता है और मध्यपूर्व के देशों के साथ निकट सहयोग के जरिए चरमपंथियों के लिए सजा से बचने की संभावना खत्म करना चाहता है.

इसलिए मोदी ने आबू धावी में दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी कदमों में सहयोग पर जोर दिया है. आतंकवाद के खिलाफ साझा सहयोग भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि मोदी ने इस दौरे पर सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात जाने का फैसला किया. आम तौर पर वे ऐसा नहीं करते. द्विपक्षीय संबंधों के महत्व पर जोर देने के लिए अब तक उन्होंने सिर्फ भूटान, नेपाल और बांग्लादेश का अकेले दौरा किया है.

एमजे/आईबी (पीटीआई)