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अमेरिका और रूस में जासूसों की अदला बदली

९ जुलाई २०१०

अमेरिका और रूस ने अब तक की सबसे बड़ी जासूसों की अदला बदली का फैसला कर लिया है. अमेरिका में रूस के लिए जासूसी कर रहे 10 लोगों को छोड़ा जाएगा, जबकि रूसी राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों के लिए जासूसी कर रहे चार को माफ कर दिया.

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तस्वीर: picture-alliance/chromorange

शीत युद्ध के बाद से यह दोनों पक्षों की तरफ से जासूसों की सबसे बड़ी अदला बदली है. न्यू यॉर्क में 10 लोगों ने इस बात को कबूल कर लिया था कि वे अमेरिका में रहते हुए रूस के लिए जासूसी कर रहे हैं. इसके बाद उन्हें देश से निकालने की तैयारी हो गई है और उन्हें जल्द से जल्द अमेरिका से बाहर कर दिया जाएगा.

रूसी समाचार एजेंसियों ने बताया कि रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने चार लोगों को माफ कर दिया. उन पर रूस में रहते हुए पश्चिमी देशों को खुफिया जानकारी देने के आरोप थे. इन चारों ने राष्ट्रपति को खत लिख कर खुद को गुनहगार बताया था और राष्ट्रपति से माफी की अपील की थी.

रूस और अमेरिका के बीच दो हफ्ते से भी कम वक्त में इस बात पर सहमति बन गई कि वे लोग जासूसों की अदला बदली करेंगे. समझा जाता है कि दो युवा राष्ट्रपतियों की अगुवाई में अमेरिका और रूस एक दूसरे के पास आए हैं और वे इस रिश्ते को खराब नहीं करना चाहते. बराक ओबामा और दिमित्री मेदवेदेव दोनों की उम्र 50 साल से कम है. रूस ने जासूसों को माफ करते हुए एलान किया कि यह रूस अमेरिकी रिश्तों में बदलाव और दोनों राष्ट्रपतियों की आपसी समझ की वजह से संभव हो पाया है.

अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रूस के साथ एजेंडे पर बहुत कुछ है. अमेरिका में 27 जून को इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद रूस ने भी मान लिया था कि वे उनके लिए काम कर रहे थे.

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अमेरिका में पकड़े गए रूसी जासूसतस्वीर: AP

अमेरिका की एक अदालत में इनके कबूलनामे के साथ ही अमेरिका और रूस के बाद शीत युद्ध के बाद के जासूसों की सबसे बड़ी अदला बदली का रास्ता भी साफ हो गया. अमेरिकी अटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर ने कहा, "यह एक खास मामला था और हम इस मामले में एक सही निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं."

रूस और अमेरिका में अदला बदली की बात चल रही थी, लेकिन इसे जाहिर नहीं किया गया था. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब इन 10 लोगों ने जासूसी करने की बात अदालत में मान ली.

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि समझौते के तहत इन 10 लोगों के दोबारा अमेरिका आने पर हमेशा के लिए पाबंदी लग जाएगी. सिर्फ अमेरिकी अटॉर्नी जनरल ही उन्हें दोबारा अमेरिका आने की इजाजत दे सकता होगा.

जिन लोगों को अमेरिका से भेजा जा रहा है, उनमें चार विवाहित दंपती हैं और उनके कम से कम छह बच्चे हैं. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई लगभग 10 साल से उन पर नजर रखे हुए था. अमेरिका का कहना है कि बच्चों के भविष्य के बारे में उनके माता पिता ही फैसला करेंगे. गिरफ्तारी के साथ ही कुछ बच्चों को रूस भेज दिया गया है. इन चारों दंपतियों ने बोस्टन, वॉशिंगटन 'B'और न्यू यॉर्क के पॉश इलाकों में घर ले रखे हैं. समझौते के मुताबिक इन्हें अपने घर बार और तमाम संपत्तियों को छोड़ छाड़ कर जाना होगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद इन 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उन पर कुछ और आरोप भी लगाए गए थे, जो बाद में वापस ले लिए गए. समझा जाता है कि इनमें से कोई भी सरकारी तंत्र में घुस पाने में सफल नहीं हो पाया था. 11वें रूसी जासूस क्रिस्टोफर मेटसोस के भविष्य पर फैसला नहीं हो पाया है, जिसे साइप्रस में जमानत पर रिहा किया गया और जिसके बाद से वह लापता है.

रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल

संपादनः एम गोपालकृष्णन