अमेरिका ने किया पाक चीन करार का खुला विरोध
२३ जुलाई २०१०अमेरिका के ताजा रुख से चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु करार अधर में लटक सकता है. ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों को बताया है कि एनएसजी में मतदान होने की सूरत में अमेरिका इस करार के खिलाफ वोट देगा. यह पहला मौका है जब अमेरिकी प्रशासन की तरफ से इस तरह दो टूक अंदाज में चीन पाकिस्तान परमाणु करार का विरोध किया गया है. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अपने हालिया इस्लामाबाद दौरे में कहा कि असैन्य परमाणु ऊर्जा के सिलसिले में अमेरिका पाकिस्तान की मदद करेगा.
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और अप्रसार मामलों के कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री फान एच फान डीपेन ने अमेरिकी सांसद एड रॉयस की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "जी बिल्कुल, सैद्धांतिक रूप से हम ऐसी किसी गतिविधि का समर्थन नहीं करते जो दिशानिर्देशों से परे हो." विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक में यह सवाल उठा. रॉयस अमेरिकी संसद में भारत समर्थक समूह के सह अध्यक्ष हैं. उन्होंने चीन पाकिस्तान समझौते पर अमेरिकी सरकार का रुख जानना चाहा.
अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को दो परमाणु रिएक्टर बेचने के लिए चीन को दी जाने वाली किसी भी रियायत का अमेरिका एनएसजी की वोटिंग में विरोध करेगा. एनएसजी में आम सहमति से फैसला होता है लेकिन उसके फैसले सदस्य देशों पर कानूनी रूप से बाध्य नहीं होते.
पिछले दिनों न्यूजीलैंड में हुई एनएसजी की बैठक में जब चीन पाकिस्तान परमाणु समझौते का मुद्दा उठा तो अमेरिका ने चीन से इस बारे में और सूचना मांगी. डीपेन ने बताया, "जो तथ्य हमें मिले हैं उनके मुताबिक एनएसजी की छूट के बिना यह ब्रिकी संभव नहीं है." वहीं क्लिंटन ने इस्लामाबाद दौरे में कुछ पाकिस्तान पत्रकारों को बताया, "पाकिस्तान सरकार से बातचीत में हमने साफ तौर पर कहा है कि हम असैनिक परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर उनके साथ मिलकर काम करेंगे."
पाकिस्तान की मांग रही है अमेरिका उसके साथ भी भारत जैसा परमाणु करार करे. चीन पहले ही पाकिस्तान में दो नए परमाणु रिएक्टर लगाने को तैयार है. लेकिन अमेरिका इस बारे में चीन से अभी और स्पष्टीकरण चाहता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़