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अमेरिका में पीएचडी पाने में महिलाओं ने बाजी मारी

१६ सितम्बर २०१०

अमेरिका के इतिहास में पहली बार हुआ है जब पीचएडी हासिल करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हो गई है. हेल्थ, सोशल साइंस और आर्ट्स में महिलाओं का दबदबा जबकि कंप्युटर, गणित और फिजिक्स में पुरुषों का वर्चस्व.

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तस्वीर: DW

काउंसिल ऑफ ग्रेजुएट स्कूल्स ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है, "अमेरिका में लंबे समय से मास्टर्स डिग्री पाने वालों में महिलाएं आगे रही हैं. लेकिन 2008-09 सत्र में पहली बार हुआ है कि पीएचडी के क्षेत्र में भी महिलाएं पुरुषों से आगे निकल गई हैं. अमेरिका में इस सत्र में जितनी डॉक्टरेट दी गई उनमें 50.4 प्रतिशत महिलाएं के नाम हैं." यानी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने पीएचडी की है.

2008-09 के सत्र में जितने ग्रेजुएट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए उनमें से दो तिहाई महिलाओं नाम रहे. मास्टर्स डिग्री में भी महिलाएं आगे हैं और कुल मास्टर्स डिग्री में से 60 प्रतिशत महिलाओं ने हासिल की हैं. इस रिपोर्ट को तैयार करने में अमेरिका के 800 से ज्यादा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का सर्वे किया गया.

डॉक्टरेट हासिल करने में महिलाएं जिन क्षेत्रों में आगे रही हैं उनमें हेल्थ साइंस (70 प्रतिशत), पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (61.5 प्रतिशत), सोशल साइंस (60 प्रतिशत), आर्ट्स (53 फीसदी), बायोलॉजिकल एंड एग्रीकल्चरल साइंस (51 प्रतिशत) शामिल हैं. लेकिन पुरुषों ने पारपंरिक विषयों में अपना दबदबा बनाए रखा है और इंजीनियरिंग में उन्होंने महिलाओं को आगे नहीं निकलने नहीं दिया है. पिछले साल अमेरिका में इंजीनियरिंग विषय में डॉक्टरेट पाने वाले छात्रों में तीन चौथाई पुरुष थे.

जिन अन्य विषयों में पुरुषों का प्रभुत्व कायम है उसमें गणित और कंप्युटर साइंस हैं. कंप्युटर विषय पर जितनी पीएचडी हुई उनमें 73 फीसदी पुरुष हैं. फिजिक्स में 66 फीसदी और बिजनेस में 61 फीसदी पीएचडी पुरुषों को मिली है.

इस महीने न्यू यॉर्क की स्ट्रैटजी और रिसर्च फर्म रीच एडवाइजर्स ने एक अपने एक अध्ययन में पाया कि युवा, गैरशादीशुदा और शहर में रहने वाली अमेरिकी महिला पहली बार पुरुषों की तुलना में ज्यादा कमा रही है. महिलाओं की तनख्वाह ज्यादा होने की एक बड़ी वजह यह है कि अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं और उच्च शिक्षा के मामले में पुरुषों का मुकाबला कर रही हैं. कई विषयों में तो वे उन्हें पीछे छोड़ रही हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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