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अमेरिका से नफरत करते हैं पाकिस्तानीः सर्वे

३० जुलाई २०१०

अमेरिका रोज रोज पाकिस्तान की तारीफ में कसीदे गढ़ता है और उसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना सच्चा और मजबूत सहयोगी बताता है. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है. ज्यादातर पाकिस्तानी उसे अपना दुश्मन मानते हैं.

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अंकल सैम से प्यार नहींतस्वीर: AP

अमेरिकी संस्था प्यू रिसर्च के एक सर्वे में यह बात सामने आई है. सर्वे यह भी कहता है कि साल भर पहले पाकिस्तान के लोग अल कायदा और तालिबान को लेकर जितने चिंतित थे, अब उतने नहीं हैं. अमेरिका आर्थिक और सैन्य मदद के नाम पर पाकिस्तान को अरबों डॉलर दे रहा है. लेकिन यह धन उसकी छवि का सुधारने में नाकाम रहा है. हालत यह है कि पाकिस्तान के लोगों की नजर में उसकी छवि 22वें नंबर पर है. सर्वे में 22 देश ही शामिल किए गए थे और पाकिस्तान के लोगों ने अमेरिका को सबसे नीचे रखा. यह सर्वे इसी साल 3 से 28 अप्रैल के बीच कराया गया.

इस सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि तालिबान, अल कायदा और भारत में से पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है तो सबसे ज्यादा 53 फीसदी लोगों ने भारत का नाम लिया. 23 फीसदी लोगों ने तालिबान और सिर्फ 3 प्रतिशत ने अल कायदा को खतरा माना.

इस सर्वे में 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान का दुश्मन है. सिर्फ 17 फीसदी लोगों ने अमेरिका के पक्ष में वोट दिया और 11 प्रतिशत लोगों ने उसे एक साझीदार माना. सिर्फ 8 फीसदी लोग मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में बराक ओबामा पर भरोसा किया जा सकता है. आसिफ अली जरदारी पर भरोसा करने वालों की संख्या अब 20 फीसदी ही रह गई है. दो साल पहले इनकी तादाद 64 प्रतिशत थी.

अपनी अफ-पाक नीति के जरिए अमेरिका पाकिस्तान को साथ लेकर चलने की कोशिश में लगा है, लेकिन पाकिस्तानी नागरिक तो इस बात को जरा भी पसंद नहीं कर रहे हैं. 65 प्रतिशत लोगों ने अफगानिस्तान में अमेरिका की दखलअंदाजी को गलत ठहराया और कहा कि अमेरिका और नैटो सेनाओं को अफगानिस्तान से फौरन चले जाना चाहिए. असल में वे लोग तालिबान को बुरा मान ही नहीं रहे हैं. सिर्फ 25 फीसदी लोगों को लगता है कि अगर तालिबान दोबारा अफगानिस्तान पर काबिज हो गया तो पाकिस्तान का नुकसान होगा. हालांकि इसे अच्छा बताने वाले भी 18 प्रतिशत ही लोग मिले, लेकिन 57 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.

पिछले साल 73 फीसदी लोगों ने तालिबान को पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बताया था. अब इनकी तादाद घटकर 54 रह गई है. अल कायदा को खतरा मानने वालों की तादाद पिछले साल 61 प्रतिशत थी लेकिन अब सिर्फ 38 फीसदी लोग ऐसा मानते हैं. हालांकि अब भी इन दोनों आतंकी संगठनों की छवि बहुत अच्छी नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एस गौड़