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अयोध्या पर फैसला टालने की मांग

१४ सितम्बर २०१०

बाबरी मस्जिद कांड में 24 सितंबर के फैसले को कॉमनवेल्थ गेम्स की वजह से टालने की अपील की गई है. मामले के इकलौते याचिकाकर्ता ने कहा है कि अदालत जो भी फैसला दे, वे सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे. सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है.

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तस्वीर: dpa - Bildarchiv

अयोध्या में रहने वाले मिलकियत के मुकदमे के एकमात्र जीवित मुद्दई हाशिम अंसारी कहते हैं कि फैसला जो भी हो वह सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेंगे. एक सुरक्षा गार्ड के सहारे अपने घर में बैठे हाशिम नाराज होकर कहते हैं, "लड़ते लड़ते थक गया हूं. कोई हल तो निकलता नहीं दिखता."

उधर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने घोषणा कर दी कि कोर्ट का फैसला अगर मंदिर के पक्ष में नहीं आया तो जबरदस्त आंदोलन छेड़ा जाएगा. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह गुरुवार को अयोध्या जा रहे हैं तो इलाहबाद हाई कोर्ट की अयोध्या विवाद का फैसला देने वाली विशेष बेंच के एक जज ने सरकार से सुरक्षा की मांग की है जिस पर यूपी सरकार ने तीनों जजों समेत इलाहबाद और लखनऊ में हाई कोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी है.

उधर यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र से केंद्रीय सुरक्षा बल की 620 कंपनियां मांगी हैं. लेकिन केंद्र ने अभी तक सिर्फ 40 कंपनी सुरक्षा बल ही उपलब्ध कराया है. 1992 में जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी तो केंद्र ने 400 कंपनी सुरक्षा बल उपलब्ध कराया था.

रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद मुकदमे के एक पक्षकार सहित तीन लोगों ने हाई कोर्ट में अर्जी देकर मांग की है कि इस मामले में फैसला सुनाने के बजाए दोनों पक्षों को समझौते के निर्देश दिए जाएं. यह अर्जी रमेश चन्द्र त्रिपाठी की ओर से दायर की गई है. इसमें भारी पैमाने पर हिंसा की आशंका को आधार बनाते हुए राष्ट्रहित में ऐसा करने को कहा गया है.

दो अन्य अर्जियां भी दायर की गई हैं. एक में कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनज़र फैसला टालने कि मांग है तो दूसरी में आपसी समझौते से विवाद हल करने की मांग की गई है.

इस मामले में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और इस मुकदमे के वकील जफरयाब जीलानी कहते हैं कि इन अर्जियों का कोई मतलब नहीं है.

रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ

संपादनः ए जमाल

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