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अरबी ने इंटरनेट पर इतिहास बनाया

७ मई २०१०

इंटरनेट की दुनिया में अरबी भाषा ने इतिहास रचा. अब अंग्रेज़ी के अक्षरों के अलावा अरबी में भी इंटरनेट बेवसाइट का नाम टाइप किया जा सकेगा. मिस्र, सऊदी अरब और यूएई में बेवसाइट का पता अरबी में लिखा जा सकेगा.

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इंटरनेट पतों के लिए नाम और अंकों का निर्धारण करने वाली संस्था इंटरनेट कारपोरेशन ने अपने ऑनलाइन बयान में कहा है, ’’इंटरनेट के इतिहास में पहली बार, टॉप लेवल के डोमेन के लिए नॉन लैटिन अक्षरों का इस्तेमाल किया गया. अरबी ऐसी पहली ग़ैर लैटिन भाषा है जिसके अक्षर को डोमेन के नाम में इस्तेमाल किया गया.’’ इंटरनेट की भाषा में टॉप डोमेन का मतलब डॉट कॉम, डॉट ओआरजी या डॉट नेट से है.

इंटरनेट कारपोरेशन ने बताया कि अरबी में दाएं से बाईं तरफ आसानी से डोमेन नेम लिखा जा रहा है. अरबी का पहला डोमेन मिस्र ने बनाया है, जिसका नाम मस्र रखा गया है. इस सफलता के बाद मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में इंटरनेट वेबसाइट्स के नाम अरबी में रखे और टाइप किए जा सकेंगे. इस क्रांति के साथ ही मध्य पूर्व के देशों में रहने वाले लोग अरबी भाषा में इंटरनेट का इस्तेमाल आसानी से कर सकेंगे.

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कब ख़त्म होगा हिंदी का इंतज़ारतस्वीर: AP

अरबी के बाद कई और भाषाएं भी डोमेन नेम पाने के लिए दस्तक दे रही है. इंटरनेट कारपोरेशन का कहना है कि चाइनीज़, श्रीलंका की सिंघली, तमिल और थाई भाषाओं को डोमेन नेम दिए जाने का काम भी आख़िरी दौर में हैं. ताइवान और हांगकांग इस दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं. रूसी डोमेन नेम इसी साल इंटरनेट ब्राउज़र पर आ जाएगा.

इंटरनेट कारपोरेशन के मुताबिक गुरुवार को 11 भाषाओं में 11 डोमेन नेम दिए जाने की दरख़्वास्त की गई है. जानकारों का कहना है कि इस अभूतपूर्व सफलता से इंटरनेट को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने में अपार मदद मिलेगी. दुनिया की आधी आबादी ग़ैर लैटिन अक्षरमाला पर आधारित भाषाओं पर निर्भर है. फिलहाल ऐसी जानकारी है कि हिंदी डोमेन नेम कब आएगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा मोंढे