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अर्थव्यवस्थाओं को करीब लाते चीन भारत

२७ नवम्बर २०१२

भारत और चीन की कंपनियां मिलकर काम करने की योजना बना रही हैं. दोनों देशों की कंपनियों ने नई दिल्ली में अरबों डॉलर के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. ऊर्जा, इस्पात और मूलभूत संसाधन पर होगा सहयोग.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दोनों देशों के बीच दूसरी कूटनीतिक आर्थिक बैठक हो रही है और दोनों देश साफ ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, इस्पात और बिजली के प्रोजेक्ट पर मिल कर काम करना चाहते हैं. भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बताया कि विश्व की सबसे ज्यादा आबादी वाले दो देशों को देखते हुए उसी स्तर के आर्थिक समझौते करने की जरूरत हैं. उनका कहना है कि बड़े और साझे निवेशों के जरिए ही भारत और चीन के बीच सहयोग को बढ़ाया जा सकता है.

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अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट के तहत भारत का रिलायंस पावर और चीन का मिंग यांग विंड पावर ग्रुप तीन अरब डॉलर का निवेश करेंगे. उधार में डूबी हुई भारतीय कंपनी लैन्को इन्फ्राटेक का कहना है कि उसके दो ऊर्जा प्रोजेक्टों के लिए चीन डेवेलपमेंट बैंक से दो अरब डॉलर की राशि मिल रही है.

भारत और चीन के बीच व्यापार 75 अरब डॉलर का है और 2015 तक इस राशि को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने की योजना है.

भारत सरकार ने चीन के साथ भारतीय रेल को आधुनिक बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. चीन की तरफ से इस बारे में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन अहलूवालिया के मुताबिक चीन भी आर्थिक सहयोग को गहरा करने में दिलचस्पी रखता है.

उन्होंने बताया कि चीन से बैठक के लिए 180 सदस्यों की टीम आई है और यह भारत में निवेश को लेकर उनकी गंभीरता दिखाता है.

अहलूवालिया का कहना है कि दोनों देश आर्थिक बैठक में राजनीतिक मुद्दों पर बात नहीं कर रहे. हाल ही में चीन के पासपोर्ट पर मानचित्र को लेकर विवाद पैदा हो गया था. साथ ही तिब्बती प्रमुख दलाई लामा को लेकर भी दोनों देशों में तनाव बना हुआ है.

एमजी/एएम (एएफपी, पीटीआई)

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