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सिद्धार्थ की चाहत

२१ जून २०१४

सिद्धार्थ मल्होत्रा ने करण जौहर की फिल्म स्टूडेंट आफ द ईयर से 2012 में अपने फिल्मी करियर का शुरूआत की. दो साल से भी कम समय में उन्होंने अपने अभिनय के जरिए एक पहचान बना ली है.

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Siddharth Malhotra und Shraddha Kapoor
तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

अब तक की फिल्मों में अलग अलग तरह की भूमिकाएं करने वाले सिद्धार्थ मल्होत्रा अब अगले सप्ताह रिलीज होने वाली फिल्म 'एक विलेन' में और  ही किरदार में नजर आएंगे. इस फिल्म के प्रमोशन के लिए कोलकाता पहुंचे सिद्धार्थ से डॉयचे वेले की बातचीत के प्रमुख अंश:

इस साल पहले हाइवे, फिर मैं तेरा हीरो और अब एक विलेन. क्या आपका करियर पटरी पर दौड़ने लगा है?

एक साथ इतनी फिल्मों का रिलीज होना संयोग भी है और किस्मत भी. मैं लगातार प्रयोग करना चाहता हूं. इसलिए अलग-अलग निर्देशकों और कलाकारों के साथ काम करने को प्राथमिकता देता हूं. किसी एक किरदार में बंधे रहने की बजाय मैं अलग-अलग किरदार निभा कर अपनी अभिनय प्रतिभा को और निखारना चाहता हूं. मेरी दिली इच्छा है कि लोग मुझे मेरे अभिनय से पहचानें. लेकिन अभी मुझे लंबा सफर तय करना है.

करण जौहर जैसे निर्देशक के साथ पहली फिल्म करने का क्या फायदा हुआ?

मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है. वह बेहद काबिल और बुद्धिमान इंसान हैं. करण चाहते हैं कि हम अपनी गलतियों से खुद सीखें. मुझे लगता है कि आज के दौर में किसी कलाकार का कोई फैसला उसके व्यक्तित्व के कई पहलुओं का खुलासा करता है. सही पटकथा और सही निर्देशक का चयन करियर को नई दिशा दे सकता है.

एक विलेन में आपकी भूमिका कैसी है?

इस फिल्म में मेरा किरदार अब तक निभाए गए तमाम किरदारों से अलग है. यह हिंदी फिल्मों में आम तौर पर दिखाए जाने वाले हीरो के किरदार से अलग है. यह किरदार आक्रामक होने के साथ बेहद संवेदनशील भी है. मेरी पिछली फिल्म हंसी तो फंसी के मुकाबले विलेन का किरदार हर मायने में पूरी तरह अलग है.

क्या पहले से ही फिल्मों में आने की योजना बनाई थी?

मैं 18 साल की उम्र से ही जेबखर्च और मस्ती के लिए मॉडलिंग और फैशन शो करने लगा था. लेकिन कभी इन चीजों के प्रति गंभीर नहीं रहा. इसमें शारीरिक सौंदर्य दिखाने के अलावा कुछ करने की कोई संभावना नहीं थी. इसलिए तीन साल बाद मैंने कुछ नया करने की सोची और इन सबसे नाता तोड़ लिया. अभिनय के बारे में तो पहले सोचा तक नहीं था. दिल्ली में मॉडलिंग के दौरान एक ऑडिशन दिया था. उसके बाद धीरे-धीरे फिल्मों का चस्का लग गया. लेकिन पहली फिल्म मिलने में देरी हुई. इस बीच, मुझे माई नेम इज खान में सहायक निर्देशक का काम मिल गया. उससे मुझे फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझने में काफी सहायता मिली. यही वजह है कि पहली फिल्म में कैमरे के सामने मुझे खास घबराहट नहीं हुई.

बीच में हाइवे की हीरोइन आलिया भट्ट के साथ आपके रोमांस के भी चर्चे थे?

आलिया एक आकर्षक युवती है. लेकिन मैंने उसके साथ कभी डेटिंग नहीं की. वह प्यार और रिश्तों के बीच का फर्क समझती है. उसी ने मुझे सिखाया कि प्यार किए बिना भी डेटिंग की जा सकती है.

हिंदी फिल्मों में अब काफी तादाद में नए लोग आ रहे हैं. माहौल कैसा लगता है?

अब इस फिल्मोद्योग में बेहद कड़ी प्रतिद्वंद्विता है. यह उद्योग एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है और मैं इसका हिस्सा होने के नाते खुद को भाग्यशाली मानता हूं. अब प्रतिभावान निर्माता ऐसी बढ़िया फिल्में बना रहे हैं जो सिनेमा को अगले स्तर तक ले जाने में सक्षम हैं. इस दौर में सही फैसले लेना ही सबसे बड़ी चुनौती है. करण जौहर भी कहते हैं कि एक गलत फैसला आपको खत्म कर सकता है और सही फैसला करियर में चार चांद लगा सकता है.

भावी योजना?

अभी तो कई फिल्में हाथ में हैं. मैं इस उद्योग में खुद को स्थापित करना चाहता हूं. मैं शाहरुख खान की तरह बड़ा-सा घर खरीदना चाहता हूं. लेकिन अगर अपने करियर में मुझे उनके मुकाबले आधी कामयाबी भी मिल जाए तो खुद को किस्मत वाला समझूंगा.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा