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समाज

अलविदा कहता टाइपराइटर

सोनिया फालनीकर
९ अक्टूबर २०१७

एक जमाना था जब किसी भी दफ्तर का काम टाइपराइट के बिना नहीं चलता था. लेकिन कंप्यूटर के आने के बाद सब कुछ बदल गया. बहरहाल अब कई लोगों के लिए यही खट खटाता पुराना टाइपराइटर रोजी रोटी का जरिया है.

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बीते टाइपराइटर के दिन

भारत में कई जगहों पर अब भी टाइपराइटर का इस्तेमाल होता है. लेकिन नए टाइपराइटों का उत्पादन बंद होने से ये खटखटाती मशीनें इतिहास का हिस्सा बन जाएंगी.