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अल कायदा कमजोर, अफगान संसद का उद्घाटन हुआ

२६ जनवरी २०११

ओबामा ने कहा है कि अल कायदा युद्ध के मैदान से पीछे हट रहे हैं. 2011 जुलाई तक वहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की भी बात हो रही है. इस बीच बुधवार को अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने संसद का उद्घाटन किया.

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विदेशी हाथः करजई की शिकायततस्वीर: AP

11 सितंबर 2001 के हमलों के लगभग 10 साल बाद, ओबामा ने अल कायदा को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया. उन्होंने अपने स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण में कहा कि पाकिस्तान में अल कायदा के नेता काफी पेरशानी में हैं और उन्हें वापस अफगानिस्तान जाने का भी मौका नहीं मिल रहा है. पिछले साल अमेरिका ने पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर कबायली इलाकों में मानवरहित ड्रोन विमानों से हमले तेज कर दिए थे जिसमें लगभग 670 लोग मारे गए. ओबामा ने उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई को सराहा और कहा कि उनकी सेना की वजह से अफगान जनता अब उग्रवादियों के चंगुल से निकल रही है. उन्होंने कहा कि अब आगे और कड़ी लड़ाई होगी औऱ अफगानी सरकार को अपने प्रशासन में बेहतरी लानी होगी.

ओबामा इस साल जुलाई तक वहां तैनात लगभग एक लाख अमेरिकी सैनिकों को बाहर निकालना शुरू करेंगे. हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जुलाई तक बहुत ही कम सैनिकों को वापस भेजा जा सकेगा. नाटो नेता 2014 तक अफगानिस्तान की सुरक्षा जिम्मेदारी वहां के सुरक्षा बलों को सौंपना चाहती है.

Afghanistan USA Präsident Barack Obama in Bagram
बाग्राम हावई अड्डे में ओबामातस्वीर: AP

संसद का उद्घाटन

बुधवार को काबुल में अफगान राष्ट्रपति वहां के संसद का उद्घाटन किया. सितंबर को हुए संसद चुनावों में धांधली के आरोपों के लगभग चार महीने बाद संसद का सत्र शुरू हो रहा है. इससे पहले करजई ने कहा था कि वह संसद की शुरुआत को अगले महीने करना चाहते हैं ताकि धांधली के आरोपों को जांच कर रही टीम को कुछ और वक्त मिल सके. लेकिन संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों से दबाव के बाद संसद को शुरू किया जा रहा है. काबुल में पुलिस प्रमुख ने कहा कि सुरक्षा के लिए हज़ारों पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया है ताकि उद्घाटन समारोह में कोई परेशानी नहीं आए. इस बीच 200 से ज्यादा उम्मीदवार करजई के महल के बाहर संसद शुरू होने के खिलाफ धरना दे रहे हैं.


'विदेशी हाथ'

करजई ने विरोधी प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वह संसद विदेशी दबाव में आ कर खोल रहे हैं. उन्होंने एक बयान में कहा, "कुछ विदेशी ताकतों ने हमारे फैसलों पर सवाल उठाए और हमारे देश में संकट पैदा करने की कोशिश की. वह उम्मीदवारों को उकसाते हुए कह रहे थे, कि उन्हें राष्ट्रपति के समर्थन के बिना ही संसद का सत्र शुरू करना चाहिए और वे उनका साथ देंगे." करजई ने अब तक संसद चुनावों के नतीजों को मान्यता नहीं दी है. उनका कहना है कि आरोपों की जांच के लिए स्थापित की गई जांच आयोग के फैसलों का पालन करना चाहिए. हालांकि विजयी सांसदों का कहना है कि करजई का जांच आयोग गैर कानूनी है और अफगान अदालतों को चुनाव संबंधित आरोपों की जांच करनी चाहिए.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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