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असम में फिर भड़का दंगा

२ मई २०१४

भारत में चुनाव के दौरान पूर्वोत्तर राज्य असम में एक बार फिर दंगा भड़क उठा, जहां के आदिवासी बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चलाते रहते हैं. पुलिस का कहना है कि दो महिलाओं सहित 11 लोगों की हत्या कर दी गई है.

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तस्वीर: AP

पुलिस को शक नेशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के उग्रवादियों पर है. बोडो इलाके के आईजी एलआर विष्णोई का कहना है कि मारे गए सभी लोग मुस्लिम हैं. पहली घटना बक्सा जिले में हुई, जहां आठ हथियारबंद लोगों ने आंगन में बैठे लोगों पर गोलियां चला दीं, जिसमें तीन की मौत हो गई. कोकराझार जिले के दूसरे मामले में आठ लोगों की जान गई. स्थानीय मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि करीब 20 नकाबपोश लोगों ने वहां घरों में घुस कर गोलियों की बौछार कर दी.

बोडो जाति के लोगों का अकसर इलाके के मुसलमानों से संघर्ष हो जाता है. बोडो लोगों का कहना है कि ये लोग सीमा पार बांग्लादेश से भारत में घुस आए हैं और उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. इस बार के चुनाव में भी यह मुद्दा बढ़ चढ़ कर उठ रहा है. कट्टर हिन्दूवादी छवि के बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर वह सत्ता में आते हैं, तो बांग्लादेश के प्रवासियों को "अपने बैग तैयार रखने" चाहिए. मोदी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह घुसपैठ के मामले को नियंत्रित नहीं कर पा रही है. असम की स्थिति को देखते हुए यहां अलग अलग चरणों में वोटिंग कराई गई है.

Menschenschmuggel Indien
असम में काफी दिनों से चल रहा है विवादतस्वीर: Vikas Kumar

घटना के बाद कोकराझार के मुहम्मद शेख अली सिर पीटते हुए बताते हैं, "अचानक मैंने गोलियों की आवाज सुनी और देखा कि कुछ लोग हमारे घर का दरवाजा तोड़ना चाहते हैं. मैं खिड़की से कूद कर भागा. जब फायरिंग रुकी तो मैं घर लौटा. वहां मेरी मां, पत्नी और बच्चे की लाश मिली."

एनडीएफबी 1996 से अलग बोडोलैंड की मांग कर रहा है. करीब सवा तीन करोड़ की आबादी में उनका हिस्सा 10 फीसदी का है. समझा जाता है कि इससे जुड़े उग्रवादी ही हिंसा के पीछे हैं. विष्णोई का कहना है, "हत्याकांड के बाद समुदायों में तनाव बढ़ गया है. हमने गश्त बढ़ा दी है और इलाके में 200 अतिरिक्त बलों को तैनात किया जाएगा." उनका अनुमान है कि हाल के दिनों में उग्रवाद के खिलाफ हुई कार्रवाई में एनडीएफबी को कुछ नुकसान हुआ है, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया है.

हिंसाग्रस्त इलाकों में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है. राज्य सरकार के प्रवक्ता नीलमणि सेन डेका का कहना है, "अधिकारी इस घटना के बाद सही कदम उठाएंगे." दो साल पहले जुलाई अगस्त 2012 में बोडो और मुस्लिमों के बीच हुए संघर्ष में कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई थी और करीब चार लाख लोग बेघर हो गए थे. राज्य सरकार पर सही वक्त में सही कदम नहीं उठाने के आरोप लगे थे. उसके बाद पूरे भारत में पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ हिंसा हुई थी और देश के दूसरे हिस्सों से बड़ी संख्या में उन्हें घर लौटना पड़ा था.

भारत का पूरा पूर्वोत्तर इलाका संवेदनशील माना जाता है, जो चीन, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं से जुड़ता है. यहां के पांच राज्यों में करीब 40 अलगाववादी संगठन सक्रिय हैं. पिछले पांच साल में 2000 से ज्यादा लोग यहां हिंसा के शिकार हो चुके हैं.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स, डीपीए, एपी)