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आईपीएल: केंद्र और शरद पवार को नोटिस

६ मई २०१०

आईपीएल के एक नए विवाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने शरद पवार और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा. जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल उठाया कि क्या शरद पवार ने सरकार के फैसलों को प्रभावित किया.

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तस्वीर: AP

शिवसेना के विधायक सुभाष देसाई का आरोप है कि महाराष्ट्र कैबिनेट की मंज़ूरी के बावजूद शरद पवार के चलते आईपीएल से मनोरंजन टैक्स नहीं वसूला. देसाई की जनहित याचिका पर अदालत ने बुधवार को शरद पवार को नोटिस भेजा. मामले को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए अदालत ने कहा, ''अगर एक मंत्री क्रिकेट एसोसिएशन के किसी पद पर हो और राज्य कैबिनेट उस एसोसिएशन को रियायत देने का फ़ैसला करे'', तो सवाल उठने जायज़ हैं.

जस्टिस पीबी मजूमदार और जस्टिस आरजी केतकर की बेंच ने कहा कि यह फ़ैसला पवार के पद और प्रभाव के चलते किया गया हो सकता है. अदालत ने केंद्र सरकार से भी जानना चाहा कि खेल संघों के पदों पर बैठे मंत्रियों के लिए आचार संहिता या कोई कानून है या नहीं.

Shilpy Shetty
मनोरंजन टैक्स का मामलातस्वीर: UNI

आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार ने 20 जनवरी 2010 को कैबिनेट मीटिंग के बाद आईपीएल आयोजको से मनोरंजन टैक्स लेने का फ़ैसला किया था. फ़ैसले के बावजूद सरकार ने आईपीएल से यह टैक्स नहीं वसूला. शिवसेना नेता इसके लिए एनएसपी नेता शरद पवार को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि पवार से दोस्ती और प्रभाव के चलते महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने आईपीएल से टैक्स नहीं वसूला गया.

इस पर अदालत ने कहा, ''पहली नज़र में यह आयोजन (आईपीएल) मनोरंजन कर के अंतर्गत आता है. अगर कोई छूट नहीं थी तो टैक्स वसूलने के अलावा राज्य के पास कोई विकल्प नहीं है.'' कोर्ट में बीसीसीआई के सलाहकार राजू सुब्रमण्यम ने कहा है कि पवार अब बोर्ड के अध्यक्ष नहीं है, इसलिए अदालत पवार को प्रतिवादी बना सकती है. अब मामले की अगली सुनवाई 22 जून को है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा मोंढे