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आजाद होने का नुकसान

Anwar Jamal Ashraf१८ जनवरी २०१४

स्कॉटलैंड इस साल ग्रेट ब्रिटेन से अलग होने के लिए जनमत संग्रह करा रहा है लेकिन यूरोपीय संघ ने चेतावनी दे दी है कि अगर वह अलग हुआ, तो यूं ही संघ का सदस्य नहीं बना रह सकता. उसे फिर से प्रक्रिया शुरू करनी होगी.

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Schottland Unabhängigkeit von Großbritannien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

इंग्लैंड और स्कॉटलैंड बीते 307 सालों से साथ हैं. अब 18 सितंबर को स्कॉटलैंड में जनमत संग्रह हो रहा है, जिसमें जनता तय करेगी कि उसे ब्रिटेन के साथ रहना है या अलग होना है. यूरोपीय संघ की समर्थक स्कॉटिश नेशनल पार्टी की सरकार चाहती है कि देश संघ में बना रहे. पार्टी के नेता एलेक्स सैलमंड का कहना है कि मार्च 2016 में स्वतंत्रता दिवस के बाद लोगों से इस मुद्दे पर भी राय ली जाएगी.

ब्रिटेन का विरोध

हालांकि ब्रिटेन सरकार के विदेश मंत्री विलियम हेग ने साफ कर दिया है कि अगर स्कॉटलैंड अलग होने का फैसला करता है, तो उसे यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए फिर से अर्जी देनी होगी. हेग ने यह भी कहा है कि इसके बाद स्कॉटलैंड चाहे तो यूरो मुद्रा अपना सकता है.

हालांकि स्कॉटलैंड की आजादी के समर्थक नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे यूरो की जगह ब्रिटिश पाउंड ही चलाता रहना चाहेंगे. हेग का कहना है, "स्कॉटिश सरकार ने कहा है कि वह लगातार यूरोपीय संघ में बना रहना चाहता है. लेकिन अगर आप तथ्यों को देखेंगे, तो ऐसा संभव नहीं है. संघ से थोड़ा पाने के लिए स्कॉटलैंड को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा."

Britischer Außenminister William Hague in Glasgow 17.01.2014
विदेश मंत्री विलियम हेगतस्वीर: Andy Buchanan/AFP/Getty Images

असमंजस में हैं लोग

यह बहस ऐसे वक्त में छिड़ी है, जब स्कॉटलैंड की जनता भी पक्के तौर पर नहीं कह पा रही है कि क्या उसे आजादी चाहिए. हाल के सर्वे में पता चला है कि सिर्फ एक तिहाई आबादी ही स्वतंत्रता के समर्थकों का समर्थन करती है, जबकि 15 फीसदी जनता ने अभी फैसला नहीं किया है. गुरुवार को ब्रिटेन के यूरोपीय मामलों के मंत्री डेविड लिडिंगटन ने कहा है कि अगर स्कॉटलैंड को संघ में बनाए रखना है, तो उसे सभी 28 सदस्यों की रजामंदी चाहिए होगी.

ब्रिटिश सरकार स्कॉटलैंड के अलग होने का विरोध करती है. उसका कहना है कि मौजूदा स्थिति में सीमा के दोनों तरफ फायदा पहुंच रहा है. उसका कहना है कि आजादी के बाद अगर स्कॉटलैंड में ब्रिटिश मुद्रा ही चलती रही, तो फिर उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. हेग ने अपने तर्क में कहा है कि ब्रिटेन के 267 दूतावासों में भारी संख्या में स्कॉटिश लोग हैं, "यह बात बहुत साफ है कि मिल कर यूके ज्यादा हासिल कर सकता है. दुनिया की सभी बड़ी जगहों पर हमारी सीटें हैं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जी8, नाटो."

दूसरी तरफ राष्ट्रवादियों का कहना है कि आजादी के बाद आर्थिक अनियमितता ठीक हो सकती है. उनका आरोप है कि लंदन में बैठ कर लोग चीजें तय करते हैं, जिसका फायदा स्कॉटलैंड को नहीं पहुंचता.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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