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आजिज आ चुका था इन अनुयायियों से मथुरा

सुहैल वहीद, लखनऊ३ जून २०१६

मथुरा में हुई हिंसा में करीब दो दर्जन लोग मारे गए हैं. जानिए कैसे और क्यों भड़की इलाके में हिंसा.

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Indien Mathura Zusammenstöße Sektenmitglieder Poilzei
तस्वीर: Getty Images/AFP

जिन लोगों ने मथुरा के जवाहर बाग में बुजुर्गों को तमंचे लोड करते देखा, उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ. महिलाएं असलहे लेकर पुलिस पर दौड़ीं तो भी मथुरा के शहरियों को ताज्जुब नहीं हुआ क्योंकि जवाहर बाग पर कब्जा जमाए लोगों से पूरा मथुरा आजिज आ चुका था. इन्हीं में से एक नितिन गौतम बताते हैं कि पेड़ों पर चढ़ कर इन लोगों ने पुलिस पर असलहों से हमला किया. ऊपर से गोलियां चल रही थीं और नीचे इनके तम्बुओं से पत्थर चल रहे थे. हर तरफ से गोलियों की आवाजें आ रही थी.

नितिन फोटोग्राफर हैं, बताया कि चुपके चुपके किसी तरह उधर बढ़ रहे थे लेकिन डर के मारे बुरा हाल था. ऐसी भयानक दहशत का उन्हें इससे पहले कभी अनुभव नहीं हुआ था. पुलिस आगे बढ़ी तो तम्बुओं को खुद अनुयायियों ने ही आग लगा दी और अंदर रखे रसोई गैस के सिलेंडर फट गए. पूरा जवाहर बाग आग का गोला बन गया. जो भाग नहीं सके, आग के हवाले हो गए.

इन लोगों से मथुरा के लोग कितना आजिज थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मथुरा जंक्शन की तरफ भागती अनुयायियों की इस भीड़ को भी लोगों ने कुछ स्थानों पर रोक कर मारने की कोशिश की. नितिन बताते हैं कि मथुरा के लोगों के दिल में इनके लिए बिल्कुल जगह नहीं बची थी. इनमें से कुछ मध्य प्रदेश के और कुछ पूर्वी यूपी के जिलों के रहने वाले थे जो जय गुरु देव के आंदोलन और सत्संग में शामिल होने मथुरा आए हुए थे. जवाहर बाग में दो ढाई हजार लोग हमेशा बने रहते थे.

Indien Mathura Zusammenstöße Sektenmitglieder Poilzei
तस्वीर: Getty Images/AFP

मथुरा के जवाहर बाग को खाली कराने के ऑपरेशन की इस आपबीती और आंखो देखी में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी, दरोगा संतोष यादव समेत जवाहर बाग के तम्बुओं में रहने वाले दो दर्जन लोग मारे गए, इनमें 11 आग में जल गए. 12 पुलिसवालों सहित तीन दर्जन से अधिक घायल हैं, इनमें मथुरा के डीएम भी शामिल हैं. जवाहर बाग से सैकड़ां कारतूस छह राइफल और कई दर्जन देसी कट्टे बरामद हुए हैं. सवा सौ से अधिक लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है. यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने इतनी बड़ी मात्रा में हथियार बरामद होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP

14 मार्च 2014 को एक यात्रा लेकर जय गुरु देव के एक घड़े के अनुयायी मथुरा पहुंचे थे. इन लोगों ने जिला प्रशासन से एक दिवसीय धरने के लिए अनुमति मांगी और दो दिन वहां रहने की इजाजत तलब की. जिला प्रशासन ने दे दी. बस वही दिन मथुरा के लिए मनहूस साबित हुआ. अपने आपको सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के सेनानी कहने वाले इन लोगों ने मथुरा को रणक्षेत्र बना लिया था. इन्होंने अपनी अलग नागरिकता घोषित कर रखी थी, ये लोग भारत के पीएम या यूपी के सीएम को खुले आम गालियां बकते थे, इन्हें कोई कानून मंजूर नहीं था, हाथों में लाठियां लिए जिधर निकलते, किसी भी बात पर लोगों को खदेड़ने लगते थे. मांस, मछली, शराब के विरोध में वॉल पेंटिंग कर इन लोगों ने मथुरा के लोगों के एक वर्ग में अपनी साख बनाने की कोशिश भी की लेकिन इनका हुड़दंग उस पर भारी पड़ा.

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तस्वीर: Getty Images/AFP

इनकी इन्हीं हरकतों से आजिज आकर मथुरा के कई सामाजिक संगठन इनके अवैध कब्जे को हटाने की कई बार मांग कर चुके थे. लेकिन जिला प्रशासन इन लोगों को हटाने में नाकाम रहा. हार कर बार एसोसिएशन ऑफ मथुरा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जवाहर बाग को खाली कराने की पीआईएल दाखिल की. उसी पर आए फैसले के अनुपालन में पुलिस ने जवाहर बाग को खाली कराने के लिए रेड की थी जिसमें हुई जवाबी फायरिंग में एसपी और दारोगा शहीद हुए.

जवाहर बाग का 270 एकड़ के इस भूभाग का मालिकाना हक उद्यान विभाग के पास है. जिला उद्यान अधिकारी मथुरा ने पिछले दो साल में करीब सात मुकदमे इन लोगों पर दर्ज कराए लेकिन अपनी भूमि इन लोगों से वापस न ले पाए. इन अनुयायियों का सरगना रामवृक्ष यादव है जो मथुरा से 760 किलोमीटर दूर बिहार सीमा से सटे गाजीपुर का रहने वाला है. उस पर दो दर्जन से अधिक केस दर्ज हैं. करीब तीन साल पहले रामवृक्ष और उनके समर्थकों ने बरेली के रामलीला मैदान में जनसभा करने की कोशिश की थी, रोकने पर इन लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया था. रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में ही 14 मार्च 2014 को मथुरा के जवाहर बाग में ये लोग दाखिल हुए थे.