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"आज भी पंखा हूं"

१८ जनवरी २०१३

चाहे खेल हो या राजनैतिक मुद्दे, या फिर हमारी वेबसाइट पर दी गई जानकारियां, हमें पाठकों से लगातार उनकी राय मिलती रहती है. वे यह भी कहते हैं कि मंथन दिन प्रतिदिन टीवी दर्शकों में लोकप्रिय होता जा रहा है.

https://p.dw.com/p/17Mtj
तस्वीर: picture-alliance/dpa

आज आपकी वेबसाइट पर 'टेनिस कोर्ट से दिल्लगी तक' आलेख पढ़ने के बाद पत्र लिखने से खुद को रोक न सका. इसकी पहली लाइन ही बेहद कैची है.. "खेल खेल में दिल लग गया." खिलाड़ी हों या कोई अन्य सेलिब्रिटी, होते तो इंसान ही हैं. दिल उनका भी धड़कता है. जब यह किसी और के लिए धड़कने लगे तब होती है प्यार के मधुर सफर की शुरूआत. आलेख के अंत में आपने स्टेफी जी का जिक्र कर मेरा दिल धड़का दिया. जब वह खेलती थीं तब मैं उनका 'पंखा' था. आज भी 'पंखा' हूं. अगासी जी से उनकी जोड़ी सदैव सलामत रहे, य दुआ है इस नाचीज की. सुंदर आलेख हेतु आपको बधाई.
उमेश कुमार यादव,लखनऊ, उत्तर प्रदेश

Deutschland Sport Tennis Steffi Graf 1997
तस्वीर: picture-alliance / dpa

पिछले हफ्ते लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम 'मंथन' में दक्षिण आफ्रीका स्थित सबसे बड़े टेलीस्कोप की जानकारी के साथ अंतरिक्ष उपग्रह से पृथ्वी की 3-D तस्वीरों ने हमें रोमांचित कर दिया. ग्वाटेमाला में कचरे की ढेर से निकाली गयीं कांच और पानी की बोतलों से स्कूल निर्माण को देखकर मैंने दांतों तले उंगली दबा ली. इस प्रकार अनुपयोगी वस्तुओं से उपयोगी वस्तुएं बनाना,पर्यावरण के अनुकूल भी है. इस्तेमाल हो चुके तेल से बिजली बनाने की तकनीक भारत जैसे विकासशील देशों के लिए बहुत ही उपयोगी और फायदेमंद है. मंथन कार्यक्रम अब दिन प्रतिदिन टीवी दर्शकों में लोकप्रिय होता जा रहा है. इतनी अच्छी और उपयोगी जानकारी के लिए डॉयचे वेले की पूरी टीम को हार्दिक धन्यवाद.
चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़

Glas Recycling
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मैं आपका एक बेहद पुराना श्रोता हूं. आपके तमाम कार्यक्रम बेहद अच्छे और उपयोगी हैं. सामाचारों पर आधारित कार्यक्रम मेरे सबसे बेहतरीन कार्यक्रमों में से एक हैं. दुनिया की नित्य बदलती खबरों से रूबरू कराने में आपकी भूमिका सर्वोपरि है. उम्मीद है कि नये साल में भी संबंधों का यह प्रगाढ़ सिलसिला चलता रहेगा.
रितेश कुमार, आरा, बिहार

आपके कार्यक्रमों में भारत चीन के 50 वर्षों का तुलनात्मक अध्ययन अत्यंत रोचक लगा. देखा जाए तो भारत के विरुद्ध चीन द्वारा छेड़ा गया युद्ध तत्कालीन नेताओं का अपने देश की जनता के बढ़ते हुए असंतोष से ध्यान हटाना था. यह एक कटु सत्य है कि हमारे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था होने पर भी हम चीन की एकाधिकार व्यवस्था में हो रही प्रगति का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं. केवल आबादी की वृद्धि में हम चीन को अवश्य पीछे छोड़ देंगे, इसमें कोई शक की गुंजाईश नहीं है. इसके अलावा विभिन्न अन्य विषयों जैसे दिल्ली गैंग रेप, भारत-पाकिस्तान के मध्य सीमा पर तनाव पर आपकी समीक्षाएं काफी संतुलित और प्रेरणादायक लगी. आपका न्यूजलैटर मुझे फेसबुक पर नियमित रूप से प्राप्त हो रहा है. आपकी वेबसाइट काफी मनोरंजक और ज्ञानवर्धक है.

Indisch-Chinesische Grenze Grenzpass
तस्वीर: Getty Images

हरीश चंद्र शर्मा, हसनपुर, जिला अमरोहा, उत्तर प्रदेश

"यह कैसी मानसिकता,यह कैसा कानून" - विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में आज विवादास्पद बयानों की बाढ़ सी आ गयी है. जब भी मीडिया इस तरह की खबरों को समाज तक पहुंचाता है तो ओछी मानसिकता वाले लोग मीडिया को ही दोषी ठहराते हैं कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला जाता है. सही और गलत क्या है यह समाज अच्छी तरह से जानता है! दूसरों के खिलाफ भड़काकर एकता और हित की बात करने वाले ओवैसी के भाषण में सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ ही नजर आता है.
दिल्ली गैंगरेप के सभी आरोपी बिहार के अलावा यूपी और राजस्थान के भी हैं. अपराधी किस धर्म या किस राज्य का है यह देखने की जरूरत नहीं, क्योंकि हर अपराधी हमारे समाज का ही एक हिस्सा होता है, चाहे वह बिहार का हो या महाराष्ट्र का.
दिल्ली गैंगरेप के आरोपियों में नाबालिग बताते हुए एक आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल ना करना कानून की सबसे बड़ी कमजोरी है. जब सामूहिक बलात्कार के इस आरोपी ने छोटे या बड़े अपराध के बारे में नहीं सोचा तो हमारे देश का कानून उसका बालिग या नाबालिग होना क्यों देख रहा है? ऐसे मामलों में हमारे देश का कानून अगर इसी तरह बालिग और नाबालिग की इस खाई को बढ़ाता रहा तो भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हो जायेगा. अपराध छोटा हो या बड़ा आखिर अपराध होता है और हर अपराध करने वाले को तो सजा मिलनी ही चाहिए. समझ में नहीं आता हमारे देश की यह कैसी मानसिकता है और कैसा कानून?
आबिद अली मंसूरी,पैग़ानगरी-मीरगंज,बरेली, उत्तर प्रदेश

Indien Vergewaltigung Proteste
तस्वीर: picture-alliance/dpa

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः ईशा भाटिया