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आज राख के कोहराम से राहत की उम्मीद

१९ अप्रैल २०१०

यूरोपीय अधिकारियों ने उम्मीद ज़ाहिर की है कि सोमवार से आधी से ज़्यादा उड़ाने फिर बहाल हो सकेंगी. चार दिन तक 313 हवाई अड्डे ज्वालामुखी से उड़ी राख के कारण पूरे या आंशिक बंद रहे.

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राहत की उम्मीदतस्वीर: AP

जर्मनी की हवाई सीमा सोमवार दोपहर दो बजे तक बंद रहेगी जबकि ब्रिटेन की शाम छह बजे तक. इस बीच एयरलाइन कंपनियों ने अपील की है कि अधिकारी हवाई सीमा बंद करने के फ़ैसले पर फिर से विचार करे.

शनिवार को लुफ़्थांजा के 11, केएलएम के 9, और फ्रांस के 7 हवाई जहाज़ों ने परीक्षण उड़ान भरी थी और तीनों का ही कहना था कि उनके हवाई जहाज़ को इस राख के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ.

केएलएम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर हार्टमान ने स्थानीय मीडिया को कहा कि हवाई जहाज़ों के इंजिन को राख के कणों से किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है. साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर में आइसलैंड और रूस के बीच के क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो बाकी हिस्सा सुरक्षित है.

यूरोप की एयरलाइन्स और एयरग्रुप्स का कहना है कि प्रतिबंध के बारे में फिर से विचार किया जाना चाहिए. जर्मनी में लुफ़्थांजा का कहना है कि ब्रिटेन की देखादेखी कर जर्मनी ने हवाई सीमा पर प्रतिबंध लगाया है. जबकि जर्मनी के यातायात मंत्री पेटर रामसाउअर ने जर्मनी के अख़बार बिल्ड को बताया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक ये प्रतिबंध लगाया गया है "और कोई फ़ैसला ग़ैर ज़िम्मेदाराना होता." रामसाउअर ने कहा कि सबसे "बड़ी प्राथमिकता" यात्रियों की सुरक्षा की है.

Vulkan Island April 2010 Passagiere warten auf ihre Flüge
68 लाख यात्री प्रभाविततस्वीर: AP

उधर हॉलैंड पायलट संघ ने ने कहा है कि हवा में राख के कणों इतने कम हैं कि उससे हवाई यातायात को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगले सप्ताह राख का गुबार ज़्यादा आगे नहीं बढ़ेगा. इस बीच रविवार को भी आइसलैंड के आयाफ़्यालायोकूल ज्वालामुखी से राख का गुबार निकला. बताया जा रहा है कि ये गुबार अब तुर्की की तरफ बढ़ रहा है.

गुरुवार से रविवार तक 68 लाख यात्री दुनिया भर में परेशान हुए. कुल 313 हवाई अड्डे इस राख के कारण प्रभावित हुए और कुल 63हज़ार उड़ानें चार दिन तक रद्द करनी पड़ीं. कुल तीस देशों ने इस राख के कारण अपनी हवाई सीमाएं या तो पूरी तरह से बंद कर दी हैं या फिर अधिकतर उड़ानें रद्द की हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह