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आतंकी खतरे की जद में भारत

आभा मोंढे१८ नवम्बर २०१४

2014 के वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के मुताबिक 2013 में आतंकी हमलों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 2012 की तुलना में 61 फीसदी ज्यादा थी. आतंकवाद से प्रभावित 162 देशों की सूची में भारत का नंबर छठा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल इन हमलों में मारे जाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. जितने कुल लोग आतंकी हमलों में मारे गए उनमें से 80 प्रतिशत मृतक सिर्फ पांच देशों में थे. 2013 में आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों की संख्या 17,958 रही जो 2012 की तुलना में 61 फीसदी ज्यादा है.

आतंकवाद से प्रभावित देशों की सूची में पहले नंबर पर इराक है, दूसरे नंबर पर अफगानिस्तान, तीसरे पर पाकिस्तान है. भारत भी बहुत नीचे नहीं है, उसका नंबर छठा है. दुनिया के करीब 82 प्रतिशत आतंकी हमले इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाइजीरिया और सीरिया में हो रहे हैं.

2013 के दौरान आतंकवाद फैलाने वाले संगठनों में अहम तालिबान, बोको हराम, आईएसआईएस और अल कायदा रहे हैं. 90 प्रतिशत आतंकी हमले ऐसे देशों में हुए हैं जहां मानवाधिकारों का हनन बड़ी संख्या में होता है.

ग्लोबल टेरेरिज्म इंडेक्स (जीटीआई) रैंकिंग में देखा जाता है कि देशों में आतंकी गतिविधियां कितनी हैं और विश्लेषण किया जाता है कि उनका देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर कैसा असर पड़ रहा है. सूचकांक के लिए आतंकी हमलों की संख्या, उसमें मृतकों का आंकड़ा, घायल और संपत्ति को हानि आंकी जाती है.

ताजा रिपोर्ट कहती है कि आतंकवाद की तीव्रता और व्यापकता पहले पांच देशों से काफी आगे बढ़ गई है. 2013 में दुनिया भर में आतंकी हमलों में 3,236 लोगों की मौत हुई जो 2012 की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा है. पिछले साल कुल 60 देशों में चरमपंथी हमलों के कारण लोग मारे गए.

आईईपी के कार्यकारी अध्यक्ष स्टीव किलेलिया के मुताबिक, "आतंकवाद अपने आप नहीं पैदा होता. इसके कारण ढूंढ कर ऐसी नीतियां बनाई जा सकती हैं जो उस माहौल को खत्म करें, जो आतंकवाद पैदा करता है. सबसे अहम कार्रवाई होगी सरकार प्रायोजित हिंसा जैसे कि न्यायेतर सजा, दो समूहों के बीच विवाद और नफरत कम करना और समुदाय को सहयोग देने वाली और प्रभावी नीतियां बनाना."

रिपोर्ट के मुताबिक 1960 से अब तक 80 फीसदी आतंकी गुटों का राजनीति में समेकन खत्म किया जा सका, जबकि सिर्फ 10 प्रतिशत ऐसे थे जो अपना लक्ष्य पूरा होने पर निष्क्रिय हो गए और सात प्रतिशत आतंकी गुटों का सैन्य कार्रवाई से सफलतापूर्वक दमन किया जा सका.

राजनीतिक हिंसा और बढ़ती आतंकी गतिविधियों के आधार पर 13 ऐसे देश हैं जो बढ़ते आतंकवाद का शिकार हो सकते हैं. ये देश हैं, अंगोला, बांग्लादेश, बुरुंडी, क्रेंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य, आइवरी कोस्ट, इथियोपिया, ईरान, इस्राएल, माली, मेक्सिको, म्यांमार, श्रीलंका और युगांडा.