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आपसी सहयोग बढ़ाएंगे जर्मनी और इस्राएल

२५ फ़रवरी २०१४

फलीस्तीनी इलाकों में बस्तियां बनाने की नीति और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर जर्मनी और इस्राएल में मतभेद हैं. लेकिन जर्मन चांसलर मैर्केल इस्राएल से अपना रवैया नरम करने की बात कह रही हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

टीवी कैमरे के सामने तो बेन्जामिन नेतन्याहू अंगेला मैर्केल को "प्रिय दोस्त अंगेला" पुकारते हैं और उन्हें उनकी समझ और सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं. लेकिन उनके बीच अभी दिखने वाली दोस्ती कुछ साल पहले नहीं दिखती थी. 2011 में दोनों के बीच मुलाकात के दौरान मैर्केल और नेतन्याहू ने एक दूसरे को काफी भड़काया. इस बार भी मतभेद के मुद्दे ईरान और वेस्ट बैंक में इस्राएल की बस्तियां हैं. लेकिन मैर्केल ने इन मुद्दों पर विवाद को टालने के लिए एक कूटनीतिक तरीका अपनाया है. वह कहती हैं कि ईरान और बस्तियों पर अंतिम समझौता तभी हो सकता है जब अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी फलीस्तीन और इस्राएल के साथ शांति वार्ता संपन्न करेंगे और बातचीत के ठोस नतीजे निकलेंगे.

ईरान के बारे में नेतन्याहू का कहना है कि उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर बहस करना गलती है. ईरान के मामले में केवल एक फैसला हो सकता है, कि वह संवर्धन बंद करे, प्लूटोनियम खत्म करे और प्रक्षेपक रॉकेट का विकास रोक दे. इसके विपरीत मैर्केल कहती हैं कि जर्मनी और ईरान के बीच बातचीत से पता चला है कि प्लूटोनियम संवर्धन कम हो रहा है. समझौते भले ही आदर्श न हों, लेकिन पहले से उनकी हालत बेहतर है. इस्राएल की बस्ती बनाने की नीति भी परेशानियां खड़ी कर रही है.

Angela Merkel und Benjamin Netanjahu
तस्वीर: Reuters

इस्राएल को इस बात से हौसला मिला है कि जर्मनी यूरोपीय संघ के कई और देशों की तरह इस्राएल को बॉयकॉट करने के फैसले का समर्थन नहीं करेगा लेकिन अगर यूरोपीय संघ ने बस्तियों वाले इलाके से आ रहे सामान के व्यापार पर रोक लगाई तो जर्मनी को उसे मानना होगा. साथ ही चांसलर मैर्केल ने कहा है कि नाजी जर्मनी में यहूदी घेटो में रखे गए यहूदियों के पेंशन में बढ़ोतरी की जाएगी. इस बात को प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने बहुत सराहा है. जर्मन संसद ने 2002 में नाजी जर्मनी में इस तरह के जबरी काम को "नौकरी" का दर्जा दिया था जिस वजह से वहां काम कर रहे लोगों को पेंशन देने की बात हुई. मैर्केल के इस एलान के बाद 1997 से लेकर अब तक अतिरिक्त पेंशन की रकम यहूदी बस्तियों में रहने वाले लोगों को मिलेगी.

मैर्केल और उनके मंत्रिमंडल के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री केरी की शांति वार्ता आखिरी उम्मीद हैं. इस्राएली भी बहुत जल्दी अमेरिकी मंत्री से पीछा नहीं छुड़ाएंगे क्योंकि केरी इस बार एक दृढ़ मध्यस्थ बनकर आए हैं जो हर हालत में समझौता करवाएंगे. लेकिन मैर्केल को इस बात का भी डर है कि शांति समझौते की शर्तें बहुत सख्त नहीं होंगी और बातचीत को फिर से निलंबित कर दिया जाएगा. लेकिन अच्छी बात यह है कि खुद नेतन्याहू ने हाल के दिनों में कई बार दो राष्ट्रों के हल की बात कही है.

एमजी/एमजे(डीपीए)

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