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आपस में बात करेंगी कारें

१३ फ़रवरी २०१४

भविष्य में कारें ऐसी होंगी जो सड़कों पर एक दूसरे से बात कर सकेंगी. सड़कें और सुरक्षित होंगी और भविष्य में चालकों पर भी तनाव कम होगा.

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अलग अलग कंपनियों की कारों को एक नेटवर्क में लाना आसान काम नहीं. अब कार निर्माता मिलकर एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम बनाना चाहते हैं जो सारी कारों में चलेगा और कारें आसानी से आपस में संपर्क कर सकेंगी. अगले साल से यूरोप की सड़कों पर ऐसी कारें आ सकती हैं. आपस में संपर्क करती कारों का फायदा यह होगा कि वह एक दूसरे को हादसों, बुरे मौसम और सड़कों पर गलत दिशा में चलने वाली गाड़ियों के बारे में बता सकेंगी.

यूरोपियन टेलिकॉम स्टैंडर्ड्स इंस्टीट्यूट और यूरोपीय मानक समिति सीईएन ने इसके लिए नियम बना लिए हैं. इन मानकों में बताया जाएगा कि कार कंप्यूटर किस फ्रीक्वेंसी में एक दूसरे से संपर्क करेंगे और डेटा का फॉर्मैट किस तरह का होगा. अगर मानक एक होते हैं तो कारें एक दूसरे की पोजिशन और गति का पता लगा सकती हैं. यूरोपीय अधिकारी जापान और अमेरिका के वैज्ञानिकों से इस बारे में बात कर रहे हैं.

निवेश की जरूरत

Wieder mehr Autos in Europa verkauft
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोप में करीब 20 करोड़ गाड़ियां हैं. कार विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर इनमें से 10 प्रतिशत गाड़ियों को एक नेटवर्क में शामिल किया गया तो इससे बड़ा फर्क पड़ेगा. इस सिस्टम को बनाने में ट्रैफिक लाइट और सड़कों की मूलभूत संरचना को भी ध्यान में रखा गया है लेकिन इस तकनीक को विकसित करने के लिए और पूरी तरह कारगर बनाने के लिए वित्तीय निवेश की जरूरत है.

यूरोपीय संघ की डिजिटल आयुक्त नीली क्रूस ने कहा है कि ईयू ने इस प्रोजेक्ट में अब तक 18 करोड़ यूरो लगाए हैं. 2012 में जर्मनी में 120 गाड़ियों को जोड़ा गया और उन्होंने करीब 16 लाख किलोमीटर का फासला तय किया. इस प्रयोग में आउडी, बीएमडब्ल्यू, फोर्ड और ओपेल जैसी कंपनियां शामिल थीं. अमेरिका में भी यातायात विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कारों को नेटवर्क से मिलाया जाए तो करीब 80 प्रतिशत हादसे रोके जा सकेंगे. पिछले हफ्ते अमेरिकी अधिकारियों ने इस तरह की तकनीक को मंजूरी दे दी.

लेकिन नई तकनीक के साथ नए खतरे भी आते हैं. हो सकता है कि कार चालक सिस्टम की बात न माने या फिर हो सकता है कि सिस्टम ने चेतावनी न दी हो, लेकिन खतरा फिर भी हो. डाटा सुरक्षा को लेकर भी इस तकनीक पर सवाल उठ रहे हैं. भला क्या कोई यह चाहेगा कि सड़क पर हर गाड़ी को पता हो कि वह कौन है और कहां है.

एमजी/एएम (डीपीए)