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'आर्ट कोलोन' के पचास साल

रोहित जोशी१९ अप्रैल २०१६

मॉडर्न आर्ट से जुड़े कला बाजार की तस्वीर बदल देने वाले कला मेले 'आर्ट कोलोन' ने इस बार अपनी 50वीं सालगिरह मनाई. जर्मनी के कोलोन शहर में आयोजित इस कला मेले में दुनिया भर की 200 से अधिक आर्ट गैलरियों ने हिस्सा लिया.

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Art Cologne Köln Kunstmesse Kunst
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G.Federico

मॉर्डन और कंटेंपोरेरी आर्ट को कला बाजार में अहम योगदान दिलाने में 1967 में एक प्रयोग के बतौर शुरू हुए 'आर्ट कोलोन' का अहम योगदान माना जाता है. इस बार 14 से 17 अप्रैल तक चले इस कला मेले ने 50वीं सालगिरह मनाई. कला के शौकीनों और खरीदारों का तांता कोलोन शहर के बीचों बीच मौजूद आयोजन स्थल कोएल्न मेसे के गुइर्सेनिष हॉल की तरफ उमड़ पड़ा.

इस कला व्यापार मेले में 24 देशों की 218 गैलरियों ने ​हिस्सा लिया. इन गैलरियों से जुड़े 20वीं और 21वीं सदी के बेहतरीन मॉर्डन और कंटेंपोरेरी कलाकारों की कलाकृतियों को तीन बड़े प्रदर्शनी कक्षों में प्रदर्शित किया गया.

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क्वांग योंग चुन की 1944 में बनाई गई कलाकृतितस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Gambarini

इस साल का आर्ट कोलोन अवॉर्ड फॉर न्यू पोजिसंस, युर्गेन बेकर गैलरी की ओर से प्रदर्शित किए कलाकार गेरिट फ्रोने ब्रिंकमन को दिया गया है. उन्हें 10 हजार यूरो की पुरस्कार राशि दी गई और उनकी एक एकल प्रदर्शनी अगले साल कोलोन आर्टोथेक में भी लगाई जाएगी.

भारतीय मूल की अमेरिकी कलाकार यामिनी नायर की कलाकृतियां भी मेले में शामिल थी. मुंबई की आर्ट गैलरी झावेरी कंटेंपोरेरी और न्यूयॉर्क की आर्टगैलरी थॉमस एर्बेन की ओर से प्रदर्शनी के 'न्यू कंटेंपोरेरी आर्ट' वाले हिस्से में यामिनी की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया. यामिनी फोटोग्राफर, पेंटर और मूर्तिकार हैं. आर्ट कोलोन में प्रदर्शित की गई उनकी कलाकृतियों में ये तीनों ही कलाएं एक साथ सामने आती हैं. यामिनी नायर कहती हैं, ''एक कलाकार के बतौर हम उन कहानियों को अपनी कलाकृतियों में सामने लाते हैं जो मुख्यधारा में छूट जाती हैं. और बेशक हम चाहते हैं कि दुनिया भर में उन्हें लोग देखें और समझें. इस लिहाज से आर्ट कोलोन जैसे कला मेले हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं.''

आर्ट कोलोन की जब शुरुआत हुई तब कला बाजार दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी के चलते भयानक संकट से गुजर रहा था. आर्ट कोलोन की शुरुआत करने वालों में एक रहे रूडोल्फ स्विर्नर बताते हैं, ''हम आर्ट गैलरी वालों के लिए व्यापार करना बेहद कठिन हो गया था. तब हम 16 आर्ट गैलरी के लोगों ने मिल कर 'प्रगतिशील जर्मन आर्ट डीलर्स संघ बनाया और 1967 में ''कुंस्टमार्क्ट 67'' यानि 'कला बाजार 67' का आयोजन किया.''

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1967 के ''कुंस्टमार्क्ट 67'' का पोस्टरतस्वीर: Franz Fischer

सेंट्रल आर्काइव ऑफ दि इंटरनेशनल आर्ट मार्केट के निदेशक गुंटर हैर्त्सोग का कहना है कि इस मेले की शुरूआत मजबूरी में हुई थी ​लेकिन इसे एक क्रांतिकारी मेले के तौर पर पहचान मिली जिसने कला बाजार की सूरत बदल दी.

जर्मनी के इस सबसे बड़े कला मेले में बिल्कुल नए कलाकारों को भी अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करने का मौका दिया जाता है. कोलोन शहर के एकेडमी ऑफ मीडिया आर्ट्स के छात्र फिन वॉग्नर की कलाकृति को भी यहां प्रदर्शित किया गया है. वे कहते हैं, ''मैं बहुत खुश हूं. पहली बार इतने बड़े कला मेले में मेरा काम प्रदर्शित हो रहा है. ये एक बेहतरीन अनुभव है.'' ​फिन एक वीडियो स्कल्पचरिस्ट हैं. वे एनिमेटेड वीडियो के जरिए अपनी कल्पनाओं को आकार देते हैं. मेले में शामिल उनकी कलाकृति में उन्होंने 'स्पर्श' के अनुभव को जताने की कोशिश की है.

कोलोन का कला मेला कलाकारों के अलावा कला पारखियों को भी आकर्षित करता है. पेरिस में रह रहे एंटन खुद एक युवा कलाकार हैं. वे खास तौर पर 'आर्ट कोलोन' देखने यहां पहुंचे हैं. वे बताते हैं, ''मैं खुद एक कलाकार हूं, मेरे लिए यहां कलाकृतियों को देखना खुद को परखने के लिए भी अहम है. दुनिया भर में कैसा काम चल रहा है, कलाएं किस ओर जा रही हैं, और मैं कहां पहुंचा हूं या मैं क्या कर रहा हूं. साथ ही ये कला बाजार के रुझान को समझने के लिहाज से भी जरूरी है.''

इटली के सवेरियो भी 'आर्ट कोलोन' घूमने आए हैं. वे बताते हैं कि वे खुद तो कलाकार नहीं हैं लेकिन वे कलाओं के शौकीन हैं, ''कलाएं आपके व्यक्तित्व को संवारती हैं. आपको जिंदगी के बारे में खूबसूरत नजरिया देती हैं. हम इतनी महंगी कलाकृतियां खरीद तो नहीं सकते लेकिन टिकट खरीदकर इन्हें देख जरूर सकते हैं.''