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सब सुनने वाला डिजिटल कान

१८ नवम्बर २०१३

एक नया सॉफ्टवेयर आपकी आवाज सुनकर पता लगा सकता है कि आप खुश हैं, दुखी हैं, बीमार हैं या आपको डिप्रेशन है. यह फायदेमंद हो सकता है लेकिन क्या ऐसे सॉफ्टवेयर पर पूरा भरोसा किया जा सकता है?

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तस्वीर: Fotolia/Faber Visum

अब तक आवाज को पहचानने वाले सॉफ्टवेयर यानी वॉयस एनालिसिस का इस्तेमाल शब्दों को सुनने और उन्हें टाइप करने में किया जाता है. आईफोन या एंड्रॉयड सिस्टम्स में इससे कमांड भी दिया जा सकता हैं. लेकिन शोधकर्ता आवाज के जरिए लोगों के बारे में और जानकारी हासिल करना चाहते हैं. वॉयस एनालिसिस का इस्तेमाल अब चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहा है. एक ऐसे सॉफ्टवेयर को बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे पता चल सके कि बोलने वाले व्यक्ति को क्या परेशानी है. क्या उसे पार्किनसंस की बीमारी है या वह मानसिक तौर पर अस्थिर है या क्या उसे ध्यान देने में दिक्कत हो रही है. एक ऐप ऐसा भी है जो आवाज से पता कर सकता है कि बोलने वाला व्यक्ति डिप्रेशन में है या थका हुआ है.

पार्किनसंस के लिए ऐप

मैसाचूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनॉलजी में काम कर रहे मैक्स लिटल पार्किनसंस को आवाज के जरिए जांचने पर शोध कर रहे हैं. उनकी टीम ने मरीजों और स्वस्थ लोगों की आवाजें रिकॉर्ड कीं और उनसे "आह" कहने को कहा. एक स्वस्थ व्यक्ति की आवाज में ताकत होती है और वह स्थिर होता है. पार्किनसंस के मरीजों की आवाज कांपती है. मैक्स लिटल ने एक मॉडल का प्रयोग किया है, जो पार्किनसंस के मरीज की आवाज की विशेषताओं को रिकॉर्ड करता है. मैक्स लिटल की टीम अब 17,000 सैंपल जमा कर रही है और मोबाइल में इसके इस्तेमाल के तरीके खोज रही है.

लिटल का मानना है कि यह तकनीकी नजरिए से आसान तरीका है क्योंकि दुनिया में 75 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल है. लेकिन इससे एक फायदा यह है कि मनुष्य से होने वाली गलतियों को इस तरीके से कम किया जा सकेगा. एल्गोरिदम पर आधारित ऐसी तकनीक का फायदा यह भी है कि इसे बार बार दोहराया जा सकता है और यह आपको निष्पक्ष नतीजे देगा. लेकिन लिटल मानते हैं कि ऐसे टेस्ट क्लीनिक में ही करना ठीक होता है क्योंकि डॉक्टर भी फिर साथ होते हैं.

Stimmbänder in verschiedenen Zuständen
अलग अलग स्थिति में वोकल कॉर्ड्सतस्वीर: Parkinson's Voice Initiative

स्पीच एनालिसिस

बर्लिन के चारिते अस्पताल में गणितज्ञ योर्ग लांगनर संगीत से प्रेरणा लेते हैं. उन्होंने संगीत की मदद से किसी भी व्यक्ति की बोली के विश्लेषण का तरीका निकाला है. वह आवाज की ध्वनि, ताल, धुन, स्वर, उच्चारण और लय को जांचते हैं. लांगनर कहते हैं, "दिमाग में जो भी होता है उससे बोली प्रभावित होती है. वाक शक्ति का अध्ययन करके हम पता लगा सकते हैं कि दिमाग में क्या चल रहा है." इस वक्त लांगनर बच्चों में ध्यान देने की घटती क्षमता यानी अटेंशन डेफिसिट डिसॉर्डर पर काम कर रहे हैं. लांगनर कहते हैं कि तकनीक की निष्पक्षता एक अच्छी बात है लेकिन केवल इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसके साथ डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है.

Ein Spektogramm der menschlichen Stimme
इस स्पेक्ट्रोग्राम में रंग निचले तरंग दैर्घ्य और अवसाद वाली आवाज का कंपनतस्वीर: J. Krajewski

जर्मनी के वुपरटाल विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक यारेक क्रायेवस्की कहते हैं कि वॉयस एनालिसिस से लोगों की भावनाओं का पता लगाया जा सकता है. दुख, क्रोध, खुशी, यह सब आसानी से जांचे जा सकेंगे. उन्होंने थके हुए लोगों की आवाजों को जांचा है और पता करने की कोशिश की है कि क्या आवाज से थकान का पता लगाया जा सकता है. क्रायेवस्की का कहना है कि व्यापार, विज्ञान, स्वास्थ्य और यहां तक कि अपना जीवन साथी ढूंढने में यह तकनीक काम आ सकती है.

लेकिन इसमें एक खतरा भी है. अगर ऐसी तकनीक रोजमर्रा में इस्तेमाल होने लगे तो लोगों के निजी जीवन पर असर पड़ेगा. सरकार, कंपनियां और सब लोग हमारी भावनाओं को पढ़ सकेंगे.

रिपोर्टः सोनिया आंगेलिका डीन/एमजी

संपादनः आभा मोंढे

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