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इंजीनियर बनने गए थे परेश रावल

३० मई २०१४

बाबूराव गणपतराव आप्टे, नाम सुनते ही हंसी आने लगती है और परेश रावल का हेरा फेरी का किरदार सामने आ जाता है. लोग एक्टर बनने के लिए मुंबई पहुंचते हैं लेकिन परेश रावल इंजीनियर बनने के लिए वहां गए थे.

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Indien Bollywood Schauspieler Paresh Rawal
तस्वीर: AFP/Getty Images

परेश रावल का जन्म 30 मई 1950 को हुआ. 22 साल में पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मुंबई आ गए और सिविल इंजीनियर के रूप में काम पाने के लिए संघर्ष करने लगे. उन्हीं दिनों उनके अभिनय को देख कर कुछ लोगों ने कहा कि वह अभिनेता के रूप में अधिक सफल हो सकते हैं.

यूं हुई शुरुआत

परेश रावल ने अपने सिने करियर की शुरुआत 1984 में रिलीज हुई फिल्म 'होली' से की. इसी फिल्म से आमिर खान ने भी इंडस्ट्री में कदम रखा. इस फिल्म के बाद परेश रावल को 'हिफाजत', 'दुश्मन का दुश्मन', 'लोरी' और 'भगवान दादा' जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला. लेकिन इनसे उन्हें कुछ खास फायदा नही हुआ.

1986 में परेश रावल को राजेंद्र कुमार निर्मित फिल्म 'नाम' में काम करने का मौका मिला. संजय दत्त और कुमार गौरव अभिनीत इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में दिखाई दिए. फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई और वह खलनायक के रूप में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए.

इंडस्ट्री का खलनायक

'नाम' की सफलता के बाद परेश रावल को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए, जिनमें 'मरते दम तक', 'सोने पे सुहागा', 'खतरों के खिलाड़ी', 'राम लखन', 'कब्जा', 'इज्जत' जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल हैं. इन फिल्मों की सफलता के बाद परेश रावल ने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर दर्शको को भावविभोर कर दिया.

1993 परेश रावल के सिने करियर का महत्वपूर्ण साल साबित हुआ. इस साल उनकी 'दामिनी', 'आदमी' और 'मुकाबला' जैसी सुपरहिट फिल्में रिलीज हुईं. फिल्म 'सर' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला और फिल्म 'वो छोकरी' में अपने दमदार अभिनय के लिए वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए.

किन्नर की भूमिका में

1994 में आई फिल्म 'सरदार' परेश रावल के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है. केतन मेहता निर्मित इस फिल्म में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी वल्लभ भाई पटेल की भूमिका को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया. इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय से उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बना ली.

1997 में प्रदर्शित फिल्म 'तमन्ना' भी परेश रावल की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है. इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे किन्नर की भूमिका निभाई जो समाज के तमाम विरोध के बावजूद एक अनाथ लड़की का पालन पोषण करता है. हालांकि यह फिल्म टिकट खिड़की पर कोई खास सफल नही हुई लेकिन उन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय से दर्शको के साथ ही समीक्षकों का भी दिल जीत लिया.

बाबूराव गणपतराव आप्टे

इसके बाद साल 2000 में प्रदर्शित फिल्म 'हेराफेरी' रिलीज हुई जो परेश रावल की सर्वाधिक सफल फिल्म मानी जाती है. प्रियदर्शन निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने बाबू राव गणपत राव आप्टे का किरदार निभाया. इस फिल्म में परेश रावल, अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी की तिकड़ी के कारनामों ने दर्शकों को हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया. फिल्म की सफलता को देखते हुए 2006 में इसका सीक्वल 'फिर हेराफेरी' बनाया गया.

'हेराफेरी' की सफलता के बाद परेश रावल को ऐसा महसूस हुआ कि खलनायक की बजाय हास्य अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में उनका भविष्य अधिक सुरक्षित रहेगा. इसके बाद उन्होंने अधिकतर फिल्मों में हास्य अभिनेता की भूमिकाएं निभानी शुरु कर दी. इन फिल्मों में 'आवारा पागल दीवाना', 'हंगामा', 'फंटूश' 'गरम मसाला', 'दीवाने हुए पागल'. 'मालामाल वीकली', 'भागमभाग', 'वेलकम' और 'अतिथि तुम कब जाओगे' जैसी फिल्में शामिल हैं.

तीन बार फिल्मफेयर

परेश रावल अब तक तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं. सबसे पहले उन्हें 1993 में प्रदर्शित फिल्म 'सर' के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. इसके बाद 2000 में फिल्म 'हेराफेरी' और 2002 में 'आवारा पागल दीवाना' के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया.

परेश रावल को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए हाल ही में प्रद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. फिल्मों में कई भूमिका निभाने के बाद परेश रावल ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर हाल ही में अहमदाबाद पूर्व से लोकसभा का चुनाव जीता है. परेश रावल की आने वाली फिल्मों में 'वेलकम बैक', 'शौकीन', 'राजा नटवरलाल' और '102 नॉकआउट' प्रमुख हैं.

आईबी/एएम (वार्ता)