1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इंटरनेट में नफरत की बाढ़

ओएसजे/वीके (एपी, एएफपी)३ जून २०१६

फेसबुक, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट और यूट्यूब जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियां सोशल मीडिया में नफरत की आग उगलने वालों को काबू करेंगी. कंपनियां 24 घंटे के भीतर भड़काऊ बयानों को इंटरनेट से हटा देंगी.

https://p.dw.com/p/1Izxt
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोपीय संघ के "कोड ऑफ कंडक्ट" पर दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने दस्तखत किये हैं. इस बात पर सहमति हो गई है कि कंपनियां, इंटरनेट पर नफरत फैलाने वाले और भड़काऊ बयानों को "तेजी और कुशलता" से पहचानेंगी और हटाएंगी.

अमेरिकी कंपनियों ने यूरोपीय संघ को यह भी भरोसा दिलाया है कि जब कभी कानूनी मामला सामने आएगा तो वे तेजी से कदम उठाएंगी. कंपनियों का दावा है कि वे 24 घंटे के भीतर जरूरी कदम उठाएंगी. इंटरनेट दिग्गज ऑनलाइन नफरत फैलाने वालों को पहचान करने वाले नागरिक संगठनों के साथ भी मिलकर काम करेंगी.

Facebook Google+ Datenschutz (Symbolbild)
दिग्गज इंटरनेट कंपनियों में बनी आम रायतस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Stratenschulte

हालांकि कंपनियों ने नफरत भरे संदेश लिखने वालों के अकाउंट बंद करने से साफ इनकार किया है. ट्विटर की पब्लिक पॉलिसी प्रमुख कैरन वाइट के मुताबिक, "हम ट्वीट्स का बहाव जारी रखने के लिए वनचबद्ध हैं. हालांकि अभिव्यक्ति की आजादी और हिंसा या नफरत फैलाने वाली हरकत के बीच बहुत साफ अंतर होता है."

यूरोपीय संघ की जस्टिस कमिश्नर वेरा यूरोवा ने इंटरनेट कंपनियों के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि, "इंटरनेट अभिव्यक्ति की आजादी की जगह है, न कि नफरत भरे बयानों की."

इस समस्या का सामना सिर्फ यूरोपीय देश ही नहीं कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर करीबन हर जगह ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. सोशल मीडिया स्टेटस को उस शख्स की निजी राय समझने के बजाए उस पर हो हल्ला करने का माहौल बन चुका है. अभिव्यक्ति की आजादी और सेंसरशिप के बीच यह मामला इतना उलझ चुका है कि सरकारें इसमें हाथ डालने से बच रही हैं.