1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इंसान में धड़केगा सूअर का दिल

११ अगस्त २०१७

कुछ अमेरिकी वैज्ञानिक ऐसी कोशिशें कर रहे हैं जिसके तहत सूअरों में मानव अंग विकसित किए जा सकते हैं. इन अंगों को किसी भी मरीज के शरीर में बिना किसी वायरस के खतरे के ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा.

https://p.dw.com/p/2i3ZW
Tierbabies Ferkel
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/Yay

अमेरिका के मैसेच्यूसेट्स शहर में वैज्ञानिक सूअरों के ऐसे अंग विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं जो सुरक्षित तरीके से मानव शरीर में ट्रांसप्लांट किए जा सकें. एक अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों इस प्रक्रिया में जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

इस स्टडी के मुताबिक इस खोज से इंसान में सूअर के सभी अंग ट्रांसप्लांट कर सकने की संभावना बन सकती है. इसमें मरीज को सूअर से होने वाले रेट्रोवायरस का भी खतरा नहीं होगा.

सूअरों से ट्रांसप्लान किए गए अंग उन मरीजों के लिए जान बचा सकने वाला एक वैकल्पिक रास्ता बन सकते हैं, जिनके अंग खराब हो जाते हैं. मावन अंगों की उपलब्धता की कमी के चलते ही वैज्ञानिकों ने इस विकल्प की तलाश की कि क्या जानवरों में इस तरह के अंग विकसित कर इस अंतर को कम किया जा सकता है.

यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग के मुताबिक अमेरिका में हर दिन लगभग 20 लोगों की मौत प्रत्यारोपण के लिए जरूरी अंग ने मिलने से होती है. इससे पहले भी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग की मदद से इंसानी अंग बनाने में सफलता हासिल की थी.

कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक सूअर के भ्रूण में इंसान की स्टेम सेल डालने पर इंसानी अंग विकसित होने लगता है. वैज्ञानिकों ने 28 दिन के विकास पर नजर रखने के बाद यह दावा किया था. सूअर बिल्कुल सामान्य लगता है लेकिन उसके भीतर एक इंसानी अंग काम करता है.

काईमेरा भ्रूण में दो तरीके से बनाया जा सकता है. पहली तकनीक को जीन एडिटिंग कहा जाता है. इसमें सूअर के नए भ्रूण से असली डीएनए हटाकर इंसान का डीएनए डाला जाता है. ऐसा करते ही भ्रूण का विकास बदल जाता है. उसके भीतर इन्सानी पेंक्रियाज तैयार होने लगता है.

दूसरे तरीके में इंसान की प्लूरिपोटेंट स्टेम कोशिकाकों को भ्रूण में डाला जाता है. प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल, वयस्क कोशिकाओं से निकाली जाती हैं. जीन एडिटिंग की मदद से इन्हें फिर से मूल स्टेम सेल बनाया जाता है. ऐसा करने पर ये शरीर के हर हिस्से के लिए ऊतक बना सकती हैं.

जीन एडिटिंग पर दुनिया के कई देशों में काम चल रहा है. वैज्ञानिकों का एक धड़ा मानता है कि भविष्य में जीन थैरेपी के जरिये ही अंग बदले जाएंगे. डायबिटीज, दिल के रोग, किडनी की बीमारी या दूसरे कारणों से अहम अंगों के खराब होने पर मरीज के शरीर में नए अंग डाले जाएंगे.

एसएस/ओएसजे (रॉयटर्स)