इको फ्रेंडली शहर
यूरोपीय संघ के 67 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं. भविष्य के शहरों को लेकर ब्रसेल्स में बैठक हो रही है तो देखते हैं यूरोप के कुछ खास शहर.
ग्रीन कोपनहेगन
स्कैंडिनेविया यूरोप के सबसे साफ शहरों वाला इलाका है. इस साल डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन को यूरोप की ग्रीन राजधानी घोषित किया गया है. यह 2025 तक कार्बन न्यूट्रल शहर बनना चाहता है. लोग बसों से ज्यादा साइकिल पसंद करते हैं.
स्टॉकहोम का खास ट्रांसपोर्ट
स्वच्छ ऊर्जा की बात आती है तो स्वीडन की राजधानी का नाम खास तौर पर लिया जाता है. शहर का 75 फीसदी नेटवर्क दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा से चलता है.
कार्बन न्यूट्रल सिटी
इटली के सिएना शहर ने वक्त से पहले ही कार्बन न्यूट्रल शहर का दर्जा हासिल कर लिया. प्राकृतिक ईंधन कम करके, जंगल बचा कर और ऊर्जा के नए विकल्प से.
हाइड्रोजन बस
आइसलैंड की राजधानी रिक्याविक ऐसी जगह है, जहां खूब ज्वालामुखी हैं, प्राकृतिक कुंड हैं. शहर चाहता है कि 2050 तक प्राकृतिक ईंधन की जरूरत न रहे. हाइड्रोजन और जियोथर्मल विकल्प है.
नाट के स्ट्रीटकार
फ्रांस का छठा सबसे बड़ा शहर है नाट. इसने ग्रीन ट्रांसपोर्ट नीति बनाई है. इसने दोबारा स्ट्रीटकार की शुरुआत की है, जिससे खतरनाक गैसों की मात्रा कम हुई.
विलनियुस की साफ हवा
लिथुवानिया की राजधानी में ट्रैफिक बढ़ने के बावजूद अच्छी हवा मौजूद है. इसकी सबसे बड़ी वजह है प्रकृति का रखरखाव और संरक्षण. आस पास काफी हरियाली है.
कचरे से गैस
इंग्लैंड के ऑक्सफोर्डशर में डिडकॉट शहर के लोग अपने ही कचरे से गैस बना कर हीटिंग का इंतजाम कर लेते हैं. इस काम में करीब तीन हफ्ते का वक्त लगता है.
स्मार्ट घर
जर्मन राजधानी बर्लिन की इस इमारत में पानी के इस्तेमाल की मिसाल छिपी है. यहां छतों पर बारिश का पानी जमा होता है, जिससे बाद में सिंचाई हो सकती है.
कल की चुनौती
यूरोपीय शहरों को भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है. इसमें आज के लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि आने वाले कल के लोगों को कैसे बेहतर भविष्य दिया जाए.