इटली की राजनीति में धुर दक्षिणपंथी
१६ नवम्बर २०१३मिलान के पियाजा लोरेतो पर जबर्दस्त ट्रैफिक होती है. बीच में हरी घास वाले गोलंबर पर खूब चहल पहल रहती है. यह बहुत खूबसूरत तो नहीं लेकिन इटली के सारे लोग इसे दूसरे विश्व युद्ध के समय से ही जानते हैं. यही वो जगह है जहां विद्रोही लड़ाकों ने फासीवादी तानाशाह बेनितो मुसोलिनी के शव को टांगा था. हालांकि उसके बाद भी मुसोलिनी बार बार किसी न किसी रूप में सामने आता है और अक्सर इटली के शीर्ष राजनेताओं में शुमार हो जाता है.
मुसोलिनी के समर्थक केवल नवनाजी गुटों में ही नहीं बल्कि इतालवी आबादी के रुढ़िवादी तबकों में भी हैं. तोमासो पिनी मुसोलिनी के इन्हीं समर्थकों में एक हैं. मिलान के पियाजा लोरेतो में फल और सब्जी की दुकान लगाने वाले तोमासो का मानना है कि इटली फासीवादी सत्ता के दौरान एक सुरक्षित देश था, उनके मुताबिक आज भी देश को उसी की जरूरत है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में तोमासो ने कहा, "आज यहां इटली में सब कुछ गड़बड़ है. जहां कहीं भी जाइए भिखारी और जेबकतरे आपको परेशान करते हैं. जब मुसोलिनी शासक था तो महिलाएं आराम से बाहर जा सकती थी और उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होती." जींस और गहरे नीले रंग की जैकेट, चमड़े के चमचमाते जूते और रिमलेस फ्रेम का चश्मा पहने तोमासो कहीं से भी उन दक्षिणपंथियों की तरह नहीं दिखते जो मिलान, वेरोना और रोम में जहां तहां नजर आ जाते हैं. हालांकि अगर विचारधारा की बात हो तो वो उन लोगों से अलग नहीं जो नवनाजी गुटों का समर्थन कर रहे हैं.
दक्षिणपंथी चरमपंथी गुट
रोम के नवनाजी केंद्र के सदस्यों के बारे में एक स्थानीय शख्स ने कहा, "वे यहां उन परिवारों के भले के लिए बहुत कुछ करते हैं जिनकी आमदनी कम है." यह केंद्र आधिकारिक तौर पर वैचारिक पृष्ठभूमि का ख्याल किए बगैर मिलने वालों का केंद्र है लेकिन रोम में यह सब जानते हैं कि नवनाजियों के नेटवर्क की इटली शाखा, "ब्लड एंड ऑनर" के नाम से सांस्कृतिक गतिविधियों में अपने को छिपाए हुए है. ब्लड एंड ऑनर की नींव लंदन में रखी गई थी. नेटवर्क के रोमन सदस्य खुद को सामाजिक रुढ़िवादियों के रूप में छिपाए हुए हैं. इन लोगों का गुट कितना अधिक चरमपंथी मिजाज का है यह जानने के लिए बस थोड़ा सा इंटरनेट खंगालने की जरूरत है. अपनी वेबसाइट पर ये "इटलीवासियों को शुद्ध रखने" की बात करते हैं और विदेशियों, समलैंगिकों, वामपंथीय उदारवादियों को हिंसा से धमकाते हैं.
इनके केंद्र में हालांकि सामान्य तौर पर खाली समय में की जाने वाली गतिविधियां और छोटे बच्चों के देख रेख की सुविधा दी जाती है. इसके जरिए उन कमियों को दूर करने की कोशिश होती है जिसमें सरकार नाकाम रह जाती है. मौजूदा आर्थिक संकट और बढ़ती बेरोजगारी ने इटली के मध्यमवर्गीय परिवारों को गरीबी के दिन दिखा दिए हैं. ऐसे में यह समझना बहुत आसान है कि इन सब वजहों ने दक्षिणपंथी चरमपंथियों को बढ़ावा दिया है क्योंकि वे इन समस्याओं को सुझाने में सीधे मदद करते हैं.
दक्षिणपंथी और दक्षिणपंथी चरमपंथी एक
हालांकि दक्षिणपंथी चरमपंथी भी हैं जो खुलेआम नजर आते हैं. 2500 सदस्यों वाली इटली की धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक पार्टी "फोर्जा नुओवा" अपने पर्चे बांटते समय खुद को दक्षिपंथी चरमपंथी बताते हैं. निजी दोस्ती के कारण उनकी मध्यमवर्गीय लोगों में गहरी पैठ है. रोम के पूर्व मेयर गियानी अलेमानो की बेटी ने एक जाने माने नव फासीवादी से शादी की है. उनका बेटा एक धुर दक्षिणपंथी अभियान का नेतृत्व कर रहा है. इस तरीके से धुर दक्षिणपंथी संगठन ऐसे समुदायों से भी वित्तीय मदद जुटा रहे हैं जिनका नेतृत्व कभी गैर चरमपंथी नेताओं ने किया था.
ऐसा लग रहा है कि दक्षिणपंथी और धुर दक्षिणपंथियों के बीच की रेखा तेजी से धुंधली पड़ती जा रही है. राजनीतिक मध्यमार्गी भी ज्यादा से ज्यादा दक्षिण की ओर ही जा रहे हैं. सरकार के पूर्व मुखिया रहे सिल्वियो बर्लुस्कोनी दक्षिणपंथी धड़े के प्रमुख नेता रहे हैं और मुमकिन है कि उन्होंने इस परिवर्तन में भूमिका निभाई हो क्योंकि उन्होंने कहा था का मुसोलिनी की राजनीति सहज रूप से बुरी नहीं थी. बर्लुस्कोनी के मुताबिक मुसोलिनी ने जर्मन नाजियों के साथ मिलने की गलती की, इसके अलावा मुसोलिनी ने बहुत अच्छे काम किए.
इतिहास गवाह है
इटली में फासीवाद 20 साल से ज्यादा सत्ता में रहा. तानाशाह मुसोलिनी ने 1922 से 1943 के दौरान शासन किया लेकिन इतालवी समाज अब तक अपने काले इतिहास से बाहर नहीं निकल पाई है. स्विस इतिहासकार आराम मातियोली कई सालों से इतालवी फासीवाद का अध्ययन कर रहे हैं. उनका कहना है कि मुसोलिनी की सत्ता को आज भी "सौम्य तानाशाही" कह कर कमतर बताया जाता है. मातियोली ने कहा, "फासीवादी इटली नाजी जर्मनी का सबसे नजदीकी सहयोगी था और वह कई भीषण अपराधों का दोषी है." मातियोली के मुताबिक इन अपराधों को लोगों की याद से मिटा दिया गया. उन्होंने कहा, "बल्कि दूसरे विश्व युद्ध के अंतिम हिस्से में जब इटली पर नाजी जर्मनी ने कब्जा कर लिया और वह खुद पीड़ित बन गया तो उसे भाषणों में याद किया जाने लगा."
इटली के राजनीतिक इतिहास की ओर देखें तो कोई भी कह सकता है कि फासीवादी मानसिकता वास्तव में यहां से कभी गई ही नहीं. 1946 में ही इटली ने एक नई दक्षिणपंथी पार्टी बना ली थी, नव फासीवादियों ने इसका नाम रखा, "इटैलियन सोशल मूवमेंट." 1995 में पार्टी में वैचारिक बदलाव हुआ और खुद को उसने "नेशनल अलायंस" कहना शुरु कर दिया. आधिकारिक तौर पर इसके जरिए फासीवादी विचारों से दूरी बना ली गई और पार्टी सरकार में भी आई. हालांकि इसके बहुत से सदस्यों ने नई धारा स्वीकार नहीं की और कई छोटे छोटे धुर दक्षिणपंथी गुट बना लिए. इनमें से एक का नेतृत्व तो मुसोलिनी की पड़पोती एलेसांद्रा ने भी किया. बाद में छोटी छोटी पार्टियां बर्लुस्कोनी की द पीपल ऑफ फ्रीडम में मिल गईं. एलेसांद्रा मुसोलिनी इतालवी संसद में हैं और अपने परदादा पर गर्व करने से नहीं बचतीं और अब तक किसी ने उनसे फासीवादी आदर्शों पर सवाल नहीं किये हैं.
रिपोर्टः एने सोफी ब्रेंडलीन/एनआर
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन