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इटली की 'स्लो सिटी'

२४ जनवरी २०१४

जहां एक ओर मौकों की तलाश में लोग छोटी जगहों से बड़े शहरों की तरफ जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी हैं जो छोटे शहरों को फैशनेबल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक अभियान का रूप ले चुका है जिसे 'स्लो सिटी' कहा जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/All Canada Photos

इटली के ओर्विएतो प्रांत के रहने वाले पियर जॉर्जो ओलिवेति ने 'चिटास्लो' या स्लो सिटी की अपनी परिकल्पना को अमेरिका, तुर्की, दक्षिण कोरिया समेत 28 देशों तक पहुंचा दिया है. स्लो सिटी अभियान की शुरूआत करने वाले इटली के ओलिवेति के साथ अब विश्व भर के लोग जुड़ने लगे हैं. इस अभियान का मूल मंत्र है अपनी जड़ों की ओर लौटना. ओलिवेति बताते हैं, "चिटास्लो में इस बात पर जोर दिया गया है कि हम जो हैं और हमारे पास जो कुछ है, उसकी कद्र करें. बजाए इसके कि हम अपने जीवन मूल्यों, पैसों और संसाधनों को नुकसान पहुंचा कर खुद का ही विनाश करें."

स्लो फूड से स्लो सिटी तक

1999 में इटली के स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्लो फूड के दर्शन को शहरों में बढ़ावा देने के लिए शुरू हुआ यह अभियान चिटास्लो अब काफी आगे आ गया है. फिलहाल दुनिया भर में इसको मानने वाले 183 सदस्य हैं और एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों ने सदस्यता लेने के लिए अर्जी दी हुई है. पूर्व पत्रकार ओलिवेति कहते हैं, "यह नकारात्मक वैश्विकरण की एक काट है."

इस अभियान का प्रतीक इनके दर्शन को बखूबी दर्शाता है. प्रतीक है एक घोंघा जिसकी पीठ पर एक पूरा शहर बसा हुआ दिखता है. इस अभियान में सदस्यता मिलने की बहुत सारी शर्तें हैं. जैसे भावी सदस्य के शहर में 50,000 से कम निवासी होने चाहिए. सिटी हॉल को भी इनकी कसौटी पर खरा उतरना चाहिए, उन्हें ऑर्गेनिक खेती और शहरी खेती को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए. साथ ही वहां के स्कूलों को भी खाने का महत्व समझ कर उसकी सराहना करने की क्लास चलानी चाहिए. 15 साल पहले ओर्विएतो सबसे पहले शामिल होने वाले कुछ शहरों में था. आज यही शहर इस अभियान का अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय है.

'न मुश्किल, न ही अजीब'

चिटास्लो शहरों की एक खूबी वहां के वे व्यंजन हैं जो छोटे छोटे रेस्तराओं में मिलते हैं. ये रेस्तरां ज्यादातर परिवार चलाते हैं. ये स्थानीय बाजार से लाई हुई वाइन और अन्य चीजों का इस्तेमाल कर एक से बढकर एक व्यंजन तैयार करते हैं. चिटास्लो शहरों में स्थानीय बाजार लोगों से घुलने मिलने का एक प्रमुख अड्डा माना जाता है. शहरों में संगीत का माहौल भी बढ़िया होता है, प्रदूषण का स्तर कम होता है. अभिभावक एक समूह बना कर बच्चों को पैदल स्कूल छोड़ने जाते हैं. शहर के मेयर अंटोनियो कोनचीना कहते हैं कि इसमें कुछ भी मुश्किल या अजीब नहीं है.

लेकिन स्लो सिटी में जिस तरह से पर्यावरण का ध्यान रखा जा रहा है उससे कुछ दूसरी समस्याएं भी खड़ी होती है. जैसे कि इटली में चल रहे आर्थिक संकट की घड़ी में विकास के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं. यहां बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा है. कोनचीना कहते हैं, "बड़े स्तर के कल करखानों के न होने से आर्थक विकास पर असर तो पड़ता है, "लेकिन फिर भी वह दुनिया के बड़े बड़े ब्राडों को वहां लाने के पक्ष में नहीं हैं. वैसे तो यह अभियान अभी छोटे शहरो तक ही सीमित है लेकिन ओलिवेति उम्मीद जताते हैं कि वह बार्सिलोना से लेकर सीओल तक के बड़े बड़े शहरों को भी स्लो सिटी अभियान के कुछ विचारों और तरीकों को अपनाने के लिए प्रभावित कर पाएंगे.

आरआर/आईबी (एएफपी)

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