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इटली ने भारत से निराशा जताई

२१ जनवरी २०१४

15 दोषियों की मौत की सजा माफ किए जाने के सुप्रीम कोर्ट फैसले से जहां भारत में राहत की सांस ली जा रही है, वहीं इटली भारत की न्याय प्रणाली से निराश दिख रहा है. इटली को डर सता रहा है कि उसके नागरिकों को फांसी हो सकती है.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

इटली के दो नौसैनिकों पर 2012 में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोप हैं. नौसैनिकों का कहना है कि उन्होंने मछुआरों को समुद्री डाकू समझ कर अपनी सुरक्षा में उन पर गोली चलाई. मीडिया में इस तरह की रिपोर्टें आ रही हैं कि इस मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई जा सकती है. इटली ने कहा है कि वह इस से काफी निराश है.

ये दोनों नौसैनिक पिछले दो साल से जमानत पर भारत में हैं और नई दिल्ली में इटली के दूतावास में रह रहे हैं. इटली की विदेश मंत्री एमा बोनिनो ने ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा, "अगर दो साल बाद भी आरोप ही तय नहीं हो पा रहे हैं, तो यह उचित न्याय दिलाने के अधिकार का उल्लंघन है." इटली की दलील है कि अपराध अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में हुआ, इसलिए यह भारत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

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इटली की विदेश मंत्री एमा बोनिनोतस्वीर: Getty Images

वहीं भारत के सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2013 में आदेश दिए थे कि इस मामले की सुनवाई के लिए एक साल के भीतर विशेष अदालत बनाई जाए. लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है. सोमवार को नौसैनिकों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सुनवाई में देरी के कारण उन पर लगे आरोप रद्द कर दिए जाएं और उन्हें वापस जाने की अनुमति दे दी जाए. अदालत ने कहा है कि सरकार इस मामले में सोच विचार कर रही है और अगली सुनवाई को 3 फरवरी तक के लिए टाल दिया है.

दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार गृह मंत्रालय ने इस मामले में 'सप्रेशन ऑफ अनलॉफुल एक्ट्स' (एसयूए) के तहत जांच के आदेश दिए हैं. इस कड़े कानून में मौत की सजा भी हो सकती है. भारत में इटली के विशेष दूत स्टेफान दे मिस्तुरा ने कहा है कि अगर 3 फरवरी को भी अदालत किसी नतीजे पर नहीं पहुंचती तो इटली दोनों नौसैनिकों को वापस बुलाने की मांग करेगा और भारत के इंकार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, "हम यह नहीं होने देंगे, वह भी तब जब हमें इस बात का लंबा इंतजार करना पड़े कि भारत की ओर से कभी तो सुनवाई शुरू होगी और वह भी एसयूए एक्ट की शर्त पर."

आईबी/एमजे (डीपीए)

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