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इतिहास में आजः 14 अक्टूबर

ऋतिका राय१३ अक्टूबर २०१४

समान नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर को मिला नोबेल शांति पुरस्कार.

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Martin Luther King in Berlin im 1964
तस्वीर: Privat

1964 में आज ही के दिन डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर को केवल 35 साल की उम्र में अमेरिकी समाज में रंगभेद के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन चलाने के लिए पुरस्कृत किया गया. अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत में जन्मे किंग नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने. मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म 1929 में जॉर्जिया की राजधानी अटलांटा में हुआ था. किंग ने धर्मशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री ली.

1955 में उन्होंने नागरिक अधिकार आंदोलन का पहला बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. महात्मा गांधी से प्रभावित उनका यह अहिंसात्मक विरोध प्रदर्शन मॉन्टगोमेरी बस बायकॉट के नाम से भी जाना जाता है. किंग ने रंगभेद के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन की वकालत की. उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को भी कुछ जगहों पर हिंसा का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद किंग और उनके समर्थक डटे रहे और उनका आंदोलन और शक्तिशाली होता रहा.

किंग को उनके प्रेरक और जोशीले भाषणों के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने सभी ईसाईयों और प्रमुख अमेरिकी लोगों से अश्वेत लोगों के साथ भेदभाव के खिलाफ अपने इस आंदोलन में जुड़ने की अपील की. उनकी अपील के कारण केन्द्रीय सरकार और कई श्वेत लोग भी उनके साथ आ गए. साल 1963 में वॉशिंगटन में उन्होंने एक बहुत बड़ी रैली का नेतृत्व किया. यही वह रैली थी जहां दिए उनके भाषण के कुछ अंश इतिहास में हमेशा के लिए अंकित हो गए. किंग ने अपने भाषण में कहा था, "आई हैव ए ड्रीम".

1964 में इस आंदोलन का असर अमेरिकी कानूनों में सुधार के रुप में दिखाई दिया. पोल टैक्स और नागरिक अधिकार कानूनों में किसी तरह के नस्लीय भेदभाव को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम था. इसी साल के 14 अक्टूबर को उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. किंग ने अपनी पुरस्कार राशि नागरिक अधिकार आंदोलनों को समर्पित कर दी.