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इतिहास में आजः 19 नवंबर

आमिर अंसारी१८ नवम्बर २०१३

19 नवंबर 1985 को पहली बार विश्व की दो महाशक्तियों- पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका के बीच स्विट्जरलैंड शिखर वार्ता की शुरुआत हुई थी.

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तस्वीर: AP

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव के बीच यह बातचीत 6 साल के बाद हो रही थी. दोनों देश परमाणु हथियार में कटौती करना चाहते थे. लेकिन इस बातचीत के बीच सबसे बड़ी रुकावट थी अमेरिका का प्रतिरक्षा कार्यक्रम. अमेरिका का मानना था कि दुनिया में शांति के लिए हथियारों की तैनाती जरूरी है.

दोनों नेताओं के बीच बैठक दो दिनों तक चली. पहले दिन की बैठक में सबसे पहले गोर्बाचोव ने रीगन से कहा, ''सोवियत संघ और अमेरिका दुनिया के महान देश हैं और महाशक्तियां हैं. दोनों ही तीसरा विश्वयुद्ध शुरु कर सकते हैं और चाहे तो दुनिया में शांति लाने के लिए काम कर सकते हैं.'' पहले दिन की बैठक तय समय से आधा घंटा ज्यादा खिंच गई.

दूसरे दिन की बैठक में दोनों नेताओं ने एक दूसरे को अपने देश आने का न्योता दिया. दूसरे दिन रीगन ने मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे उठाए जिसमें रीगन ने गोर्बाचोव से कहा कि वह उन्हें नहीं बताएंगे कि किस तरह से देश चलाया जाए. बैठक में हथियारों की दौड़ पर भी चर्चा हुई. शिखर वार्ता के दौरान गोर्बाचोव एक योद्धा की तरह अपनी बातों पर टिके रहे तो रीगन भी अपनी बातों पर अडिग दिखे. हालांकि दोनों की बातचीत के बाद साझा बयान जारी किया. आगे कई सालों तक दोनों नेताओं की मुलाकात हुई और कई मुद्दों पर बातचीत होती रही.

इस मुलाकात को सोवियत संघ के अंत की शुरुआत कहा जा सकता है. पूर्वी यूरोप में घटनाक्रम तेजी से बदलता गया. गोर्बाचोव के सुधारों और पस्चिम के नजदीक आने के साथ न सिर्फ पूरब और पस्चिम के बीच दीवार गिरी, जर्मन एकीकरण हुआ और शीत युद्ध भी समाप्त हो गया. लेकिन इसके बोझ तले सोवियत संघ अपना अस्तित्व बचा नहीं पाया.

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