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इतिहास में आजः 2 दिसंबर

२ दिसम्बर २०१३

बेनजीर भुट्टो ने 1988 में आज ही के दिन पहली बार प्रधानमंत्री का पद संभाला. पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री भुट्टो को करिश्माई नेता माना जाता था लेकिन 2007 में रावलपिंडी में उनकी हत्या कर दी गई.

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तस्वीर: dapd

"हम लोग आज यहां आजादी का जश्न मनाने जमा हुए हैं, लोकतंत्र का भी और अंग्रेजी के तीन खूबसूरत शब्दों का भी, वी द पीपल"... बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तान की 11वीं प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद दो दिसंबर, 1988 को ये शब्द इस्तेमाल किए और पूरी दुनिया में छा गईं. वह दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं. लेकिन दोनों ही बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं.

1953 में पैदा हुईं बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान में फांसी की सजा दे दी गई थी. इसके बाद भुट्टो परिवार और सेना का अच्छा रिश्ता नहीं रहा. प्रधानमंत्री रहते हुए भी बेनजीर भुट्टो के सेना के साथ अच्छे संबंध नहीं रहे. उन्होंने पहली बार जब पाकिस्तान की बागडोर संभाली, उस वक्त राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे. दोनों युवा नेता थे और उनकी अच्छी बनती थी. राजीव गांधी और बेनजीर भुट्टो की वजह से दुनिया में दक्षिण एशिया की भी अच्छी पहचान बनी.

पहली बार में बेनजीर भुट्टो डेढ़ साल से थोड़ा ज्यादा प्रधानमंत्री पद पर रहीं और छह अगस्त, 1990 को उन्हें हटना पड़ा. हालांकि तीन साल बाद ही 1993 में वह दोबारा पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं. पर दूसरी बार भी वह तीन साल तक ही राज कर पाईं. बेनजीर भुट्टो 1999 में अपनी मर्जी से पाकिस्तान छोड़ गईं और उसके बाद दुबई और इंग्लैंड में रहने लगीं.

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने जब 2008 चुनाव कराने का एलान किया, तो 2007 में बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान लौट आईं. 18 अक्टूबर को लंबे वक्त बाद उन्होंने अपनी धरती चूमी. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह मिलन सिर्फ दो महीने का है. 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान उनकी हत्या कर दी गई.