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इतिहास में आजः 24 फरवरी

२४ फ़रवरी २०१४

वनडे क्रिकेट ने 40 साल तक जिसका इंतजार किया, उसका दीदार आज ही के दिन 2010 में पूरा हुआ. और इसे पूरा भी किया क्रिकेट के सबसे खूबसूरत बल्लेबाज यानि सचिन तेंदुलकर ने. वनडे में पूरे 200 रन ठोंक कर.

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Bildergalerie zu dem indischen Cricketspieler Sachin Tendulkar
तस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP/Getty Images

ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में बल्लेबाजी करने उतरे सचिन के लिए कोई सीमा नहीं थी. सामने विध्वसंक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग सिर्फ नौ रन बना कर चलते बने लेकिन इस बीच सचिन रौद्र रूप धारण कर चुके थे. 24 फरवरी, 2010 को उम्र के 36 साल बहुत कम लग रहे थे. बल्ले की धार 20 साल में पुरानी नहीं, बल्कि तेज हो चुकी जान पड़ती थी. रिफ्लेक्शन सटीक थे. बाउंड्री लाइन इतनी छोटी हो गई कि गेंद दो दर्जन बार से भी ज्यादा उस पार लुढ़क चुकी थी. सचिन की बल्लेबाजी किसी जादू की तरह लग रही थी. क्रिकेट को जिस दिन का इंतजार था, वह एक जादूगर ही पूरा करता दिख रहा था.

पारी के आखिरी लम्हों में खेल का रोमांच जरा तेज हो गया. क्रीज की दूसरी तरफ कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे. सचिन के 190 का आंकड़ा पार करने के बाद उन्हें स्ट्राइक ही नहीं मिल रही थी. धोनी या तो लंबे शॉट लगा रहे थे या ओवर के आखिरी गेंद पर एक रन ले रहे थे. यहां तक कि 49वें ओवर की आखिरी गेंद पर भी उन्होंने एक रन चुरा लिया. उस वक्त सचिन 199 पर खेल रहे थे.

फिर आखिरी ओवर में भी दो गेंद धोनी खेल गए. तीसरी गेंद सचिन को खेलनी थी. चार्ल लंगेवेल्ट गेंदबाज थे. नीली जर्सी पसीने से तर हो चुकी थी. टेनिस एल्बो वाला हाथ पट्टियों से भरा था. दस्ताने के अंदर भी पता नहीं कितनी पट्टियां छिपी थीं. पर चेहरा सपाट था. आंखें सीधी गेंद पर. पिन ड्रॉप साइलेंस में तीसरी गेंद फेंकी गई. गेंद जब बल्ले से टकराई, तो उसकी गूंज पूरे स्टेडियम में गूंजी. बॉल प्वाइंट की तरफ गई, दोनों बल्लेबाज भागे. उन्होंने एक दूसरे को क्रॉस किया. वनडे का ऐतिहासिक रन पूरा हुआ.

क्रीज पर पहुंचने से पहले ही सचिन हेल्मेट उतार चुके थे. नजर भर कर जमाने की ओर देखा, जमाना पहले ही उनकी कदमों पर था. आसमान चीर देने वाली खुशी का इजहार हुआ. ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ी दीवानों की तरह उछल पड़े. सचिन की आंखें फिर बंद हुईं. इस बार चेहरा थोड़ा ऊपर उठा. दोनों हाथ आसमान की तरफ. पता नहीं कितने कैमरों ने यह तस्वीर खींची लेकिन निशान दिमाग में कैद हो गए. चार साल बाद भी वो बल्ला, वो बाजू और वो बाजीगर आंखों के सामने यूं ही घूम रहा है.