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समाज

इतिहास में आजः 8 सितंबर

६ सितम्बर २०१४

भारत में समांतर गायिकी के पर्याय भूपेन हजारिका आज ही के दिन पैदा हुए थे. संगीतकार, फिल्मकार, थियेटरकर्मी और कवि हजारिका की रचनाओं में जो बेचैनी दिखती है, वह उन्होंने भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में सीखी.

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तस्वीर: AP Photo/A. Nath

स्कूली पढ़ाई के बाद हजारिका ने आगे की पढ़ाई न्यूयॉर्क के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में करने का फैसला किया. डॉक्ट्रेट करते वक्त उनकी मुलाकात अमेरिकी गायक पॉल रॉबसन से हुई, जिन्होंने हजारिका के नजरिए को नया आयाम दिया. अश्वेत गायक रॉबसन नागरिक अधिकारों के लिए बड़ी लड़ाई लड़ रहे थे और उनके संपर्क में आते ही हजारिका की प्रतिभा को एक दिशा मिल गई.

1950 के दशक में भारत लौटने के बाद भले ही हजारिका ने कुछ दिन पढ़ाने का काम किया लेकिन उसके बाद संगीत के लिए समर्पित हो गए. उनके कई गाने रॉबसन से प्रेरित हैं, खास तौर पर बिस्तिर्नो परोरे, जो रॉबसन के ओल मैन रिवर पर आधारित है. इन गानों में समाज में हो रही ज्यादती को निशाना बनाया गया है. उनके भावनात्मक गानों ने लोगों को ऐसा खींचा कि असमिया जुबान में लिखे और गाये गए गाने हिन्दी और बंगाली में जम कर अनुवाद किए जाने लगे.

सामाजिक और राजनीतिक ताने बाने को अपनी कविता में पिरोने और फिर उसे अपनी शुद्ध आवाज में पेश करने वाले हजारिका ने लोक संगीत का भी सहारा लिया. बांग्लादेश में जब एक बार सर्वश्रेष्ठ गाने की वोटिंग हुई, तो भूपेन हजारिका का गाना "मानुष मानुषर जोनो" दूसरे नंबर पर रहा. इससे आगे सिर्फ बांग्लादेश का राष्ट्रगान है.