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इतिहास में आजः 9 अगस्त

८ अगस्त २०१३

9 अगस्त को जापान के नागासाकी में एटम बम गिराया गया. इससे पहले 6 अगस्त को हिरोशिमा अमेरिका का निशाना बना. पहली बार किसी ने एटम बम का इस्तेमाल किया था, विनाश के मकसद से.

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तस्वीर: Courtesy of the National Archives/Newsmakers

1945 में जापान अमेरिका पर हावी हो रहा था. जनरल ग्रोव्स और एड्मिरल परनेल दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिकी सेना की कमान संभाले थे.  अमेरिकी वैज्ञानिक भी जानना चाहते थे कि एटम बम से कितना नुकसान होता है. हिरोशिमा में लिटल बॉय नाम का एटम बम गिराया गया था. इसमें यूरेनियम 235 का इस्तेमाल किया गया. नागासाकी वाले बम, यानी फैट मैन, में प्लूटोनियम टेस्ट करने की बात थी.

9 अगस्त 1945 को जापान पर बम गिराने की बात तो थी, लेकिन नागासाकी निशाना नहीं था. नागासाकी जापान के लिए एक अहम बंदरगाह है जो देश को चीन के शंघाई से जोड़ता है. लेकिन  बम ले जा रहा विमान बॉकस्कार कोकुरा शहर पर मंडरा रहा था. कोकुरा में उस दिन बादल छाए हुए थे. उधर सैन्य रणनीतिज्ञ खास तौर पर नागासाकी को छोड़ना चाहते थे क्योंकि बंदरगाह होने की वजह से इस पर कई बार हमले हो चुके थे और एटम बम का असली विनाश आंकना मुश्किल पड़ता.

बॉकस्कार के पायलट दो बार कोकुरा के आसमान पर मंडराते रहे और बादलों के छंटने का इंतजार करते रहे. लेकिन उस दिन मौसम ने साथ नहीं दिया. फिर नागासाकी पर बम गिराने का फैसला लिया गया. बम धमाकों और हमलों के आदी नागासाकी के लोग सायरन बजने पर छिपे नहीं. जो लोग छिपे, उन्होंने बाद में उन भयावह दृश्यों का वर्णन किया जो आज परमाणु बम के खतरों की ओर हमें आगाह करते हैं.

बम गिरने पर आसमान बहुत तेज चमकने लगा. जो लोग जमीन के नीचे बंकरों में छिप गए, उन्होंने देखा कि बम की आगोश में आए उनके साथियों के शरीर में बड़े बड़े फोड़े बन गए हैं. कुछ लोगों की त्वचा शरीर से अलग हो कर लटक रही थी. कुछ लोगों की आंखें पिघल कर उनके माथे में समा गईं थीं. नागासाकी में 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई.

अमेरिकी विमान जापान के आसमान में लगातार उड़ते रहे और पर्चे फेंकते रहे. उनमें लिखा था कि जब तक जापान युद्ध खत्म नहीं करता, तब तक उनपर एटम बम गिराए जाते रहेंगे.

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