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इतिहास में आज: एक जनवरी

ऋतिका राय३१ दिसम्बर २०१४

45 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर अस्तित्व में आया और इसकी पहली जनवरी को नए साल का जश्न मनाया गया. तबसे आज तक विश्व के ज्यादातर हिस्सों में हर साल 1 जनवरी को ही नए साल के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है.

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Symbolbild Zeit Kalender Tage
तस्वीर: Fotolia/Maxim_Kazmin

रोम का शासक बनने के तुरंत बाद ही जूलियस सीजर ने पहले से चले आ रहे रोमन कैलेंडर को सुधारने पर ध्यान दिया. ईसा पूर्व 7वीं सदी से चले आ रहे इस रोमन कैलेंडर में चंद्रमा के चक्र के अनुसार ही दिनों को निर्धारित करने की कोशिश की गई थी. मगर अक्सर बदलते मौसमों के साथ चंद्रमा का चक्र थोड़ा बदल जाता था और उसके हिसाब से ही दिनों को खिसकाना पड़ता था.

नया कैलेंडर डिजाइन करने में सीजर ने अलेक्जांड्रिया के प्रख्यात खगोलविद् सोसिजीन्स की मदद ली. उन्हीं की सलाह पर चंद्रमा के चक्र यानि लूनर साइकिल को छोड़ सूर्य के चक्र यानि सोलर साइकिल को कैलेंडर का आधार बनाया जाना तय हुआ. मिस्र के लोग पहले से ही सोलर साइकिल को मानते आ रहे थे. नए कैलेंडर में साल को 365 और चौथाई दिनों का माना गया. वर्ष 45 ईसा पूर्व में नए सुधारों को लागू करने के लिए सीजर को 67 दिन और जोड़ने पड़े. इस तरह 46वां ईसा पूर्व 1 जनवरी से शुरू हो पाया. हर चौथे साल में फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जोड़े जाने का आदेश भी तभी लागू किया गया.

44वें ईसा पूर्व में सीजर की हत्या के बाद ऑगस्टस ने गद्दी संभाली. जनवरी यानि क्विंटिलिस से जुलाई या जूलियस तक के महीनों के नाम सीजर ने खुद रखे. उसके मरने के बाद अगस्त महीने का नाम जो पहले सेक्सटिलिस था, उसे ऑगस्टस ने अपने नाम पर बदल दिया. 1 जनवरी को नए साल का जश्न मनाने का सिलसिला सदियों तक जारी रहा लेकिन मध्य काल में इसमें थोड़ा विराम लगा. साल के दिनों की पूरी तरह सटीक गणना ना होने के कारण 15वीं सदी के मध्य तक आते आते साल में 10 दिनों का अंतर आ गया. रोमन चर्च ने फिर से इसमें हस्तक्षेप किया और 1570 में पोप ग्रेगोरी 13वें ने खगोलविद् क्रिस्टोफर क्लावियस की मदद से नया कैलेंडर तैयार किया. 1582 से ही ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल हो रहा है. तबसे दुनिया भर के लोग हर साल 1 जनवरी को ही नए साल का स्वागत करते हैं.