1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इतिहास में आज: 23 नवंबर

समरा फातिमा२२ नवम्बर २०१३

रेस्त्रां या पब में अगर आपको अपनी पसंद का कोई गाना बजाना हो और उसके लिए बस एक सिक्का डालना हो तो बात ही क्या है. 1928 में पहली बार जब अमेरिका में ऐसा हुआ तो लोग हैरान रह गए.

https://p.dw.com/p/1AMin
तस्वीर: picture-alliance/dpa

ज्यूक बॉक्स के नाम से जाना जाने वाला यह यंत्र आपको अपनी मर्जी का गाना चुनने और बजाने का विकल्प देता है. इस मशीन पर अक्षरों की मदद से आप अपनी पसंद का नाम डाल सकते हैं.

1870 के दशक में एडिसन ने आवाज को रिकार्ड कर दोबारा सुन सकने वाले फोनोग्राफ की खोज की. इसके बाद 1890 में लुई ग्लास और विलियम आरनॉल्ड ने मिलकर इसमें निकेल का इस्तेमाल कर फोनोग्राफ को और विकसित किया. मशीन में सिक्का डालने पर लॉक खुल जाता था और इसमें लगी चार ट्यूबों में से एक से संगीत सुना जा सकता था. धीरे धीरे इसमें और विकास होता रहा.

Haus der Geschichte Jukebox
तस्वीर: DW

1918 में पहली बार होबार्ट निबलाक ने इसमें और खूबियां जोड़ीं जिससे रिकॉर्ड खुद बखुद बदल जाते थे, उन्हें हाथ से बदलना नहीं पड़ता था. इसी की मदद से 1927 में ऑटोमेटेड म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट नाम की कंपनी ने पहला ज्यूक बॉक्स तैयार किया.

1928 में जसटस पी सीबुर्ग ने लाउडस्पीकर और रिकॉर्ड प्लेयर को मिलाकर संगीत बजाने वाली ऐसी मशीन विकसित की जो सिक्का डालने से चलती थी. सुनने वालों के पास इस मशीन में 8 गानों का विकल्प होता था. हालांकि यह मशीन बहुत बड़ी और भारी थी. धीरे धीरे तकनीकी विकास के साथ इसका आकार छोटा और गानों की संख्या बढ़ती गई. 1940 के दशक में अमेरिका में यह काफी मशहूर हुआ.

आज लोगों के पास छोटे से आईपॉड में हजारों गाने होते हैं, लेकिन ज्यूक बॉक्स के कई आधुनिक संस्करण आज भी बाजार में मौजूद हैं.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी