1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इतिहास में आज: 25 दिसंबर

समरा फातिमा२४ दिसम्बर २०१३

पाकिस्तान के संस्थापक और काएदे आजम कहे जाने वाले मुहम्मद अली जिन्ना का 1876 में आज ही के दिन जन्म हुआ था.

https://p.dw.com/p/1AgU6
तस्वीर: Radio Pakistan

पाकिस्तान में उन्हें बाबा-ए-कौम यानि राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है. जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 के दिन कराची में हुआ था. जिस घर में उनका जन्म हुआ उसका नाम वजीर मैंशन है, जिसे बाद में राष्ट्रीय स्मारक और संग्रहालय का दर्जा दिया गया. उनके पिता जिन्नाभाई एक गुजराती व्यापारी थे, लेकिन जिन्ना के जन्म के पूर्व वे काठियावाड़ छोड़कर सिंध में जाकर बस गये.

जिन्ना 1893 में कानून की पढ़ाई करने लंदन गए. 1896 में वह भारत वापस आए और कुछ दिन कराची में रहने के बाद बंबई आकर हाईकोर्ट में बतौर बैरिस्टर काम करने लगे. भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में मुस्लिम लीग के नेता के रूप में हुआ जिन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग और कांग्रेस के साथ लखनऊ समझौता करवाया था. वह अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे. जिन्ना मुसलमानों के प्रति कांग्रेस के रवैये से पूरी तरह सहमत नहीं थे. इसलिए 1913 में वह कांग्रेस का छोड़ मुस्लिम लीग से जुड़ गए थे.

Indien Mahatma Gandhi
तस्वीर: AP

1937 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के चुनाव में मुस्लिम लीग ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और मुस्लिम क्षेत्रों की ज्यादातर सीटों पर कब्जा कर लिया. हालांकि कई पश्चिमोत्तर सीमांत इलाकों में हार मिलने पर मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा. लेकिन जिन्ना ने कांग्रेस के सामने मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र बनाने और मुस्लिम लीग को भारत के मुसलमानों का एकमात्र प्रतिनिधि मानने की शर्त रखी, जिसे कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया. आगे चलकर जिन्ना का यह विचार बिल्कुल पक्का हो गया कि हिन्दू और मुसलमान दोनों अलग-अलग राष्ट्र हैं. उनका यही विचार बाद में जाकर द्विराष्ट्रवाद का सिद्धान्त कहलाया.

1940 के लाहौर अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित कर यह कहा गया कि मुस्लिम लीग का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान का निर्माण है. कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. भारत के विभाजन को रोकने के लिए 1944 में महात्मा गांधी ने बंबई में जिन्ना से कई बार बातचीत की, लेकिन हल कुछ भी नहीं निकला. आखिरकार अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी और आजाद पाकिस्तान बनने पर जिन्ना देश के पहले गवर्नर जनरल बने.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी